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आदिवासियों ने भारतीय रेशम और फैब्रिक्स के लिए कच्चा माल उपलब्ध कराने में खासा अंशदान: मुन्डा

श्री अर्जुन मुंडा ने पहले वर्चुअल माध्यम से आयोजित आदि महोत्सव-मध्य प्रदेश का ई-शुभारम्भ किया

वर्चुअल माध्यम से आयोजित आदि महोत्सव में ट्राइब्स इंडिया की वेबसाइट पर मध्य प्रदेश की समृद्ध और विविधतापूर्ण संस्कृति, शिल्पों का प्रदर्शन किया जाएगा

जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने आज आदि महोत्सव-मध्य प्रदेश के वर्चुअल संस्करण का शुभारम्भ किया। 1 दिसंबर, 2020 से शुरू हुए इस 10 दिवसीय महोत्सव की मेजबानी ट्राइब्स इंडिया की वेबसाइट (www.tribesindia.com) पर की जा रही है। इसका मुख्य जोर आदिवासी शिल्प और मध्य प्रदेश की संस्कृति पर है। मध्य प्रदेश सरकार में आदिवासी विकास मंत्री सुश्री मीना सिंह और ट्राइफेड के चेयरमैन श्री रमेश चंद मीणा आज इस ऑनलाइन शुभारम्भ के लिए मुख्य अतिथि थे।

इस अवसर पर अपने संबोधन में श्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि “आदि महोत्सव-मध्य प्रदेश” का वर्चुअल संस्करण आदिवासियों के जीवन और आजीविकाओं के बदलाव में सहायता देने का एक अन्य प्रयास है। महामारी के बावजूद, ट्राइफेड योद्धाओं के दल ने इस वार्षिक आदिवासी महोत्सव का आयोजन किया है, जो वर्चुअल रूप में आदिवासी संस्कृति की आत्मा और समृद्धि को उत्सव के रूप में मनाता है और इसे जनजातियों को बड़े बाजारों के साथ जोड़ने की दिशा में उनके प्रयासों के साथ इस साल भी जारी रखा गया है।

उन्होंने कहा कि वह आज मध्य प्रदेश को बढ़ावा देने वाले आदि महोत्सव के शुभारम्भ का हिस्सा बनकर वास्तव में काफी खुश हैं। आदि महोत्सव एक राष्ट्रीय आदिवासी महोत्सव है और जनजातीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार व भारतीय जनजाति सहकारी विपणन विकास संघ (ट्राइफेड) की एक संयुक्त पहल है। महोत्सव देश की पारम्परिक कला और हस्तशिल्प व सांस्कृतिक विरासत का प्रदर्शन करता है।

ट्राइफेड का अंतिम उद्देश्य आदिवासी उत्पादों के विपणन विकास के द्वारा देश में आदिवासी लोगों का सामाजिक-आर्थिक विकास है और ट्राइफेड के एमडी श्री प्रवीर कृष्ण के नेतृत्व में वास्तव में देश में आदिवासी समुदाय के उत्थान की दिशा में शानदार काम किया जा रहा है।

श्री मुंडा ने इस बात पर अपनी खुशी जाहिर की कि कोविड-19 महामारी से पैदा चुनौतीपूर्ण हालात के बावजूद ट्राइफेड और जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा आदिवासियों की मुश्किलों को दूर करने की दिशा में काम किया जा रहा है।

इन आदिवासियों की सरलता, टिकाऊ जीवन शैली के गुणों की प्रशंसा करते हुए उन्होंने इस तबके की कमजोर आर्थिक स्थिति को लेकर चिंता जाहिर की और खुशी जताते हुए कहा कि ट्राइफेड की पहलों से बिचौलियों की भूमिका खत्म हुई है और आदिवासियों को प्रत्यक्ष रूप से लाभ मिल रहे हैं। उन्होंने सलाह दी कि ट्राइफेड को इन आदिवासियों को सशक्त बनाने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में सहायक पहलों को आगे बढ़ाते रहना चाहिए।

श्री मुंडा ने कहा कि आदिवासियों ने भारतीय रेशम और फैब्रिक्स के लिए कच्चा माल उपलब्ध कराने में खासा अंशदान किया है। उन्होंने अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा कि लगभग 10.5 करोड़ की आबादी के बावजूद, आदिवासी लोग आर्थिक विकास की मुख्यधारा से दूर बने हुए हैं। सीमित संसाधनों के बावजूद आदिवासी लोग खुश रहने की कला जानते हैं। जनजातीय कार्य मंत्रालय उनमें उद्यमशीलता विकसित करने की कोशिश कर रहा है।

उन्होंने आदिवासियों से “मेरा वन, मेरा धन, मेरा उद्यम” का पालन करने का आह्वान किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि आदिवासियों को कौशल विकास प्रशिक्षण उपलब्ध कराना चाहिए। उन्होंने कहा कि आदिवासी लोग अपनी संस्कृति को प्यार करते हैं और अपनी संस्कृति की रक्षा करना चाहते हैं, लेकिन इसके साथ ही बाजार में उनके खास उत्पादों को एक मंच उपलब्ध कराने में सहायता देने की आवश्यकता है।


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