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आयकर विभाग ने की तमिलनाडु में आईटी इन्फ्रा सेक्टर से जुड़ी कंपनी की जांच

 

प्रविष्टि तिथि: 07 NOV 2020 3:02PM by PIB Delhi

आयकर विभाग ने 4 नवंबर को चेन्नई और मधुरई में एक आईटी इन्फ्रा सेक्टर से जुड़ी कंपनी जो कि एक चेन्नई बेस्ड ग्रुप है, के यहां 5 स्थानों पर छानबीन की।

छानबीन के दौरान इस कंपनी के सिंगापुर में रजिस्टर्ड एक दूसरी कंपनी में इनवेस्टमेंट के सबूत मिले हैं जहां पर इस कंपनी की 72 परसेंट शेयर होल्डिंग है और एक दूसरी कंपनी जोकि एक इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप्मेंट और फाइनेंन्शियल ग्रुप है उसकी 28 परसेंट होल्डिंग है। छानबीन के दौरान यह भी पता चला कि 72 परसेंट होल्डिंग होने के बावजूद इसने 28 परसेंट होलडिंग वाले ग्रुप से बहुत ही कम पैसा लगाया है। जिसके चलते कंपनी को लगभग 200 करोड़ रुपये का फायदा हुआ इस पैसे को कंपनी ने रिटर्न ऑफ इनकम और एफ ए शैड्यूल में नहीं शो किया था। जोकि नियमों के विरुद्ध है और विदेश में संपत्ति या उससे जुड़े फायदे को ना बताने के कारण कंपनी पर ब्लैक मनी एक्ट 2015 के तहत कार्यवाई की जाएगी। इंन्वेस्टमेंट की कुल राशि 354 करोड़ रुपये के करीब है।

जांच के दौरान ये भी पता चाला कि इस ग्रुप ने हाल ही में 5 शैल कंपनियों का अधिग्रहण किया है। जिनके माध्यम से गलत बिलों को बनाकर कंपनी ने 337 करोड़ रुपये की हेरा फेरी की और उस पैसे को विदेश में ट्रांस्फर करवाकर शेयर खरीदे। कंपनी के एक डायरेक्टर ने कबूल भी किया है कि उन्होंने शैल कंपनियो के माध्यम से पैसे को डाइवर्ट किया।

साल 2009 में 150 रुपए के हिसाब से प्रेफरेंशियल शेयर अलॉटमेंट के सबूत भी मिले हैं। इन शेयर्स की केवल अकांउट्स में एंट्री की गई थी जिसका मकसद कंपनी की कैपिटल को बैंक और फाइनेन्शियल इंस्टीट्यूशन्स के सामने बढ़ा चढ़ा कर दिखाना था ताकि ज्यादा से ज्यादा पैसा प्राप्त किया जा सके। ग्रुप कंपनियों द्वारा 150 करोड़ रुपये के प्रेफरेंशियल शेयर के अलॉटमेंट की जांच की जा रहीं है यह अलॉटमेंट 2015 में की गई थी।

जांच के दौरान पाया गया कि ग्रुप ने बैंकों से ब्याज पर फंड्स लिये और उस पैसे को अपने ही ग्रुप की दूसरी कंपनियों के पास डाइवर्ट कर दिया। जिसको कि प्रापर्टी में इनवेस्ट किया गया। ऐसा करने से कंपनी ने 423 करोड़ रुपये के ब्याज को बचाया ।

आगे जांच के दौरान ये भी पाया गया कि ग्रुप ने विभिन्न शैल कंपनियों के नाम से 800 एकड़ जमीन खरीदी जिसकी कीमत कम से कम 500 करोड़ रुपये है। जिसकी जांच बेनामी प्रापर्टी ट्रांजेक्शन एक्ट 1988 के अंतर्गत की जा रही है।

इसके अलावा शेयर्स को बाजार से बहुत कम दाम पर भी ट्रांस्फर किया गया जिसकी जांच आईटी के नियमों के अंतर्गत की जा रही है और अगर जांच में कोई भी धांधली पाई जाती है तो उस एक्ट के नियमानुसार कंपनी पर कार्यवाही की जाएगी।

इस पूरी जांच के दौरान 1 हजार करोड़ रुपये की संपत्ति की गड़बड़ पाई गई है। जिसमें से कंपनी ने खुद 337 करोड़ रुपये की अतिरिक्त संपत्ति का खुलासा किया है। इसके अलावा जांच एजेंसी की आगे की जांच जारी है।


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