आयकर विभाग ने हरियाणा में रियल एस्टेट से जुडे 12 स्थानों पर छापे मारे
आयकर विभाग ने 17.03.2021 को रियल एस्टेट, आवास, हॉस्पिटैलिटी और खुदरा शराब के व्यापार में शामिल एक समूह से जुड़े स्थानों पर छापेमारी की। यह छापामारी अभियान समालखा, गुरुग्राम, रोहतक और पंचकुला में स्थित 12 अलग स्थानों पर चलाया गया।
छापेमारी की यह कार्रवाई कम्प्यूटरीकृत प्रणाली द्वारा चयनित और जारी फेसलैस जांच मूल्यांकन नोटिस का अनुपालन ना करने की वजह से की गई। फेसलैस मूल्यांकन योजना के तहत कुछ निर्धारितियों को भेजे गए नोटिस का, उनके द्वारा प्राप्त करने के बावजूद नियमित रूप से अनुपालन नहीं किया जा रहा था।
डेटा विश्लेषण से पता लगा कि प्राप्तकर्ता कम महत्व के व्यक्ति अथवा महत्वहीन व्यक्ति थे। इसके बाद आंतरिक और विवेकपूर्ण जांच में पता लगा कि वे शख्स उपरोक्त समूह का चेहरा थे और समूह के कुछ सदस्यों के लिए बेनामीदार भी थे।
आगे की जांच में पता लगा कि जिन लोगों के नाम से नोटिस जारी किया जा रहा है वह समूह के द्वारा चलाए जा रहे शराब के व्यापार में शामिल थे। यह पाया गया कि जिन लोगों के नाम पर शराब के लाइसेंस जारी किए गए थे, वह मुख्य समूह के सदस्यों के बेनामीदार थे।
वे बिना महत्व के व्यक्ति थे और उन्होंने अपने बयान में कहा कि उन्हें अपने नाम पर चलाए जा रहे व्यापार के बारे में कोई जानकारी नहीं है। ऐसा लगता है कि एससी/एसटी वर्ग के लिए आरक्षित कोटे का लाभ उठाने के लिए उनके नामों का दुरुपयोग किया गया। असली मालिकों और पैसे का पता लगाने के लिए जांच की जा रही है। इन सभी मामलों में बेनामी निषेध अधिनियम के तहत उपयुक्त कार्रवाई की जाएगी।
तलाशी के दौरान, समूह की किफायती आवास योजना परियोजना में कर्मचारियों/रिश्तेदारों और अज्ञात व्यक्तियों के नाम पर फ्लैट्स की फर्जी बुकिंग के सबूत मिले हैं। कंपनी ने समूह के सदस्यों के कर्मचारियों को घर आबंटित किए जिसके बिना भुनाए किये गए चेक परिसर से बरामद हुए हैं।
हालांकि बाद में फ्लैट्स 6 लाख से 10 लाख रुपये प्रत्येक के प्रीमियम पर असली खरीदार को बेच दिए गए। यह प्रीमियम नकद में प्राप्त किए गए और बुक्स में इसका लेखा-जोखा नहीं किया गया। इस किफायती आवास योजना के तहत, अन्य खरीदारों से भी नकद में प्रीमियम प्राप्त किया गया। अतः इस मामले में ना सिर्फ योजना का गलत इस्तेमाल हुआ बल्कि कर चोरी भी की गई जिसका अनुमान 36 करोड़ रुपये से कम नहीं है।
तलाशी के दौरान इस बात के भी सबूत पाए गए कि पिछले सालों में, समूह ने सीमेंट, रेती, लोहे की छड़ जैसे बिल्डिंग मैटेरियल के नाम पर लगभग 100 करोड़ रुपये के फर्जी खर्चों का दावा किया है जो कि बड़ी कर चोरी की ओर इशारा है। इसके अलावा यह भी पाया गया कि पिछले वर्षों में समूह नियमित रूप से बिजनेस प्रमोशन के बड़े फर्जी खर्चों का दावा करता रहा है और अचल संपत्ति में गैर-हिसाबी निवेश के रूप में चोरी किए गए धन को वैध करता रहा।
इस बात के भी पर्याप्त सबूत पाए गए कि समूह ने एक शैल कंपनी के माध्यम से जिसने गुरुग्राम क्षेत्र के एक लोकप्रिय बिल्डर से रियल-एस्टेट की खरीद में निवेश किया, अपनी 70 करोड़ की गैर-हिसाबी आय को फर्जी शेयर कैपिटल और असुरक्षित ऋण के रूप में फैलाया है। भारत और देश के बाहर बेनामी संपत्ति में निवेश से संबंधित संपत्ति के दस्तावेज और स्वामित्व विलेख के रूप में साक्ष्य पाए गए। मामले की आगे जांच की जा रही है।
समूह ने ऑफिस और निजी उद्देश्यों के लिए नकद में करोड़ों गैर-हिसाबी रुपये खर्च किए। इसमें शानदार शादी के खर्चे और परियोजनाओं के लिए विभिन्न अप्रूवल लेने के खर्चे भी शामिल हैं।
तलाशी के दौरान, लगभग 3 करोड़ रुपये के आभूषणों में अस्पष्ट निवेश पाया गया। समूह के 4 बैंक लॉकर भी पाए गए जिन पर रोक लगा दी गई है। मामले की आगे जांच की जा रही है।