आयरन से भरपूर ‘लाल चावल’ किसी भी रासायनिक उर्वरक के इस्तेमाल के बिना उगाया जाता है
असम से ‘लाल चावल’ की पहली निर्यात खेप संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए रवाना
भारत की चावल निर्यात क्षमता को बढ़ावा देने के लिए ’लाल चावल’ की पहली खेप को आज संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए रवाना कर दिया गया। आयरन से भरपूर ‘लाल चावल’ असम की ब्रह्मपुत्र घाटी में किसी भी रासायनिक उर्वरक के इस्तेमाल के बिना उगाया जाता है। चावल की इस किस्म को ‘बाओ-धान’ कहा जाता है, जो कि असमिया भोजन का एक अभिन्न अंग है।
लाल चावल का निर्यात प्रमुख चावल निर्यातक – एलटी फूड्स द्वारा किया जा रहा है। निर्यात किये गए लाल चावल की इस खेप को एपीडा (एपीईडीए) के अध्यक्ष डॉ एम अंगमुथु ने हरियाणा के सोनीपत से अमेरिका के लिए रवाना किया। इन ‘लाल चावल’ के निर्यात में वृद्धि होने के साथ ही इससे ब्रह्मपुत्र के बाढ़ वाले मैदानी इलाकों के किसान परिवारों की आय में बढ़ोत्तरी होगी।
एपीईडीए विभिन्न हितधारकों के साथ सहयोग के माध्यम से चावल के निर्यात को बढ़ावा देता है। सरकार ने एपीईडीए के अन्तर्गत चावल निर्यात संवर्धन मंच (आरईपीएफ) की स्थापना की थी। आरईपीएफ चावल उद्योग, निर्यातकों, एपीईडीए, वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारियों और पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़ तथा ओडिशा सहित प्रमुख चावल उत्पादक राज्यों के निदेशकों का प्रतिनिधित्व करता है।
2020-21 में अप्रैल से जनवरी की अवधि के दौरान गैर-बासमती चावल के शिपमेंट में प्रभावशाली बढ़ोत्तरी देखी गई है। अप्रैल-जनवरी 2021 के दौरान गैर-बासमती चावल का निर्यात 26,058 करोड़ रुपये (3506 मिलियन अमरीकी डॉलर) का रहा, जबकि अप्रैल-जनवरी 2020 के दौरान यह 11,543 करोड़ रुपये (1627 मिलियन अमरीकी डॉलर) का था। गैर-बासमती के निर्यात में रुपया अवधि में 125 प्रतिशत और 115 फीसद डॉलर की वृद्धि देखी गई है।
चावल के निर्यात में हुई तेजी से वृद्धि एक ऐसे कालखंड के दौरान देखी गई है जब वैश्विक स्तर पर आई कोविड-19 महामारी ने कई वस्तुओं की आपूर्ति को बाधित कर दिया था। सरकार ने कोविड संबंधित सभी सुरक्षा उपायों का पालन करते हुए चावल के निर्यात को सुनिश्चित करने के लिए प्रयास किए और इसे जारी रखा।
एपीडा के अध्यक्ष एम अंगामुथु ने कहा कि, हमने कोविड-19 महामारी के समय में भी सैद्धांतिक एवं स्वास्थ्य चुनौतियों के चलते सुरक्षा तथा स्वच्छता सुनिश्चित करने के संदर्भ में अनेक उपाय किए और इस दौरान भी चावल का निर्यात जारी रहा।