छत्तीसगढ़ ने जल जीवन मिशन के तहत अपनी वार्षिक कार्य योजना प्रस्तुत की
छत्तीसगढ़ द्वारा आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से जल जीवन मिशन (जेजेएम) के लिए वार्षिक कार्य योजना प्रस्तुत की गई। प्रस्तुति के दौरान, राज्य ने योजना के अनुसार ‘हर घर जल’ का लक्ष्य प्राप्त करने की प्रतिबद्धता दोहराई। जल जीवन मिशन के तहत राज्यों /
केंद्रशासित प्रदेशों की वार्षिक कार्य योजना (एएपी) पर चर्चा और उसे अंतिम रूप देने का काम, पेयजल और स्वच्छता विभाग के सचिव की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय समिति द्वारा किया जाता है। इसके बाद, समय-समय पर होने वाली तिमाही प्रगति और खर्च के आधार पर धनराशि जारी की जाती है, जो राष्ट्रीय टीम द्वारा नियमित रूप से क्षेत्र का दौरा करने के साथ जल जीवन मिशन के तहत प्रत्येक गांव को ‘हर घर जल’ वाला बनाने के लिए की जाने वाली गतिविधियों के सुचारू कार्यान्वयन के लिए तकनीकी सहायता प्रदान करती है।
छत्तीसगढ़ में लगभग 45.5 लाख ग्रामीण परिवार हैं, जिनमें से केवल 5.7 लाख (12.5 प्रतिशत) के पास ही नल से पानी की आपूर्ति होती है। वर्ष 2021-22 में, लगभग 22 लाख नल से जल के कनेक्शन प्रदान करने की योजना है। राज्य में इस वर्ष 2 जिलों को परिपूर्ण करने की भी योजना है।
छत्तीसगढ़ को जेजेएम के तहत वर्ष 2021-22 में लगभग 1,000 करोड़ रुपये का केंद्रीय कोष मिलने की संभावना है। समिति ने राज्य को सलाह दी कि वह धन के प्रभावी उपयोग के लिए राज्य की हिस्सेदारी और व्यय योजना के मिलान का प्रावधान करे। प्रस्तुति के दौरान, समिति ने संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग सुनिश्चित करने के लिए धन के विभिन्न स्रोतों के अभिसरण के लिए राज्य को सलाह दी।
इसके अलावा पानी की गुणवत्ता वाले प्रभावित क्षेत्रों, पानी की कमी वाले क्षेत्रों, अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति की अधिकता वाले क्षेत्रों, आकांक्षी जिलों, पीवीटीजी क्षेत्र और सांसद आदर्श ग्रामीण योजना गाँव, आईईसी गतिविधियों पर जोर, आदि जैसे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को शामिल करने पर ध्यान केंद्रित करने का भी परामर्श दिया।
छत्तीसगढ़ राज्य पेयजल स्रोतों के स्थिरता / विकास के लिए और पानी में भू-रासायनिक संदूषण से निपटने के लिए काम कर रहा है । राज्य ने सौर दोहरी छोटी जलापूर्ति योजनाओं में अच्छी प्रगति की है।
जल जीवन मिशन के तहत, अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओ की सक्रिय भागीदारी के साथ-साथ स्थानीय समुदाय को शामिल करने के माध्यम से जल गुणवत्ता निगरानी पर प्राथमिकता दी जा रही है। हर गांव में 5 व्यक्तियों को विशेष रूप से महिलाओं को पानी की गुणवत्ता का परीक्षण करने के लिए फील्ड टेस्ट किट का उपयोग करने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है।
हर स्रोत को हर साल में एक बार भौतिक और रासायनिक मापदंडों के लिए और दो बार बैक्टीरियोलॉजिकल संदूषण के परीक्षण करने की आवश्यकता होती है। राज्यों के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग / ग्रामीण जल आपूर्ति विभाग ग्रामीण घरों में सुरक्षित पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित कर रहा है और प्रयोगशालाओं में परीक्षण करके नियमित रूप से पानी की गुणवत्ता की निगरानी कर रहा है। राष्ट्रीय समिति ने दूषित जल के परीक्षण और उपचार पर ध्यान केंद्रित करने और चालू वर्ष के दौरान जल परीक्षण प्रयोगशालाओं की एनएबीएल मान्यता की योजना बनाने का सुझाव दिया।
कोविड -19 महामारी की स्थिति के दौरान, प्रत्येक और सभी ग्रामीण घरों में सुरक्षित पानी की उपलब्धता वायरस से निपटने में मददगार साबित होगी।