दिल्ली हाई कोर्ट ने फेसबुक, गूगल, ट्विटर से मांगा जवाब
रिपोर्टिंग की मानकता का ख्याल रखते हुए घटना की रिपोर्टिंग किए जाने के मुद्दे पर हाईकोर्ट ने दो टीवी न्यूज़ चैनल से जवाब मांगा है। न्यायमूर्ति राजीव शकधर की पीठ ने रिपब्लिक टीवी के चीफ एडिटर अर्नब गोस्वामी, रिपोर्टर प्रदीप भंडारी, टाइम्स नाउ के चीफ एडिटर राहुल शिवशंकर और ग्रुप एडिटर नविका कुमार के अलावा फेसबुक, गूगल व ट्विटर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।उन्होंने दोनों चैनलों से कहा कि वे खुद बताएं की रिपोर्टिंग के मानक की गुणवत्ता को बनाए रखने और उसे बेहतर करने के लिए क्या और प्रयास किए जा सकते हैं।
पीठ ने दोनों को इस पर अपनी राय देने का भी निर्देश दिया। पीठ ने दोनों चैनलों से कहा कि वे न्यूज रिपोर्टिंग के दौरान स्थापित कानूनी मानदंडों का ख्याल रखें और किसी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी न करें। पीठ ने साथ ही कहा कि इस तरह की टिप्पणी गूगल, फेसबुक और ट्विटर जैसे किसी भी प्लेटफार्म पर भी नहीं की जाए। मामले में अगली सुनवाई 14 दिसंबर को होगी।
पीठ ने सुनवाई के दौरान पूछा कि अगर इससे व्यक्तिगत लोग प्रभावित हैं तो फिर उन्हें व्यक्तिगत रूप से सामने आकर कानूनी प्रक्रिया में हिस्सा लेना चाहिए। इस पर निर्माताओं की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव नायर ने कहा कि सभी निर्माता व सेलेब्रिटी इन एसोसिएशन के सदस्य हैं और व्यक्तिगत रूप से पक्षकार बनाने के संबंध में सभी निर्देश लेंगे।
आमिर खान, शाहरुख खान, सलमान, अक्षय कुमार, अजय देवगन, करण जौहर समेत 32 निर्माताओं समेत 34 निर्माताओं व चार फिल्म संघों की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है। उन्होंने कहा था कि कुछ मीडिया घराने गैर जिम्मेदाराना तरीके से रिपोर्टिंग कर रहे हैं और बिना आधार के उन लोगों को बदनाम करते हैं। इससे उन लोगों के खिलाफ समाज में गलत धारणा बनती है।
ऐसा करने से उन्हें रोका जाए और उनसे देश के स्थापित कानूनी मानदंडों के तहत रिपोर्टिंग करने को कहा जाए। पीठ ने कहा कि रिपोर्टिंग से ऐसा लगता है कि पहले धारणा बनाई जाती है और फिर रिपोर्टिंग की जाती है। इसमें खबर कम विचार ज्यादा होते हैं।
उन्होंने कहा कि भारत में केस दर्ज होने से पहले ही नामों की घोषणा कर दी जाती है। टीवी स्क्रीन पर आग की लपटें दिखाई जा रही है। व्हाट्सएप चैट दिखाए जा रहे हैं। अदालत समझ नहीं पा रही कि यह सब क्या हो रहा है। उन्होंने मीडिया से कहा कि आप खुद स्वत: नियंत्रण की बात करते हैं और करते कुछ नहीं। कोई नहीं चाहता कि उसकी निजी जिंदगी को सार्वजनिक रूप से घसीटा जाए।