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पटसन उत्पादक किसानों के लिए प्रमाणित पटसन बीज वितरण कार्यक्रम और जागरूकता कार्यशाला

किसानों से उत्पादन और आय बढ़ाने के लिए प्रमाणित बीजों का उपयोग करने को कहा-कार्यक्रम से 5 लाख से अधिक किसान लाभान्वित होंगे

केंद्रीय कपड़ा तथा महिला और बाल विकास मंत्री श्रीमती स्मृति जुबिन ईरानी ने किसानों से अपनी आय और उत्पादकता बढ़ाने के लिए पटसनके प्रमाणित बीजों का उपयोग करने और पटसन के विविध उत्पादों और तकनीकी वस्त्र उत्पाद के जरिए अपना योगदान देने का आह्वान किया है।

श्रीमती ईरानी आज वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए पश्चिम बंगाल के बैरकपुर में आईसीएआर-सीआरआईजेएएफ संस्थान में पटसन के प्रमाणित बीज वितरण योजना और पटसन किसान जागरूकता कार्यशाला के उद्घाटन अवसर पर बोल रही थीं।

श्रीमती ईरानी ने कहा कि आईएसीएआरई की इस पहल की शुरुआत 2015 में केवल 60 मीट्रिक टन प्रमाणित पटसन बीजों से हुई थी लेकिन सिर्फ डेढ़ साल में 20,000 से अधिक किसान इससे लाभान्वित हुए और 2017 में पटसन के प्रमाणित बीजोंका वितरण 600 मीट्रिक टन से अधिक हो गया। अब तक, सरकार ने आईसीएआरई कार्यक्रम के जरिए 2.60 लाख किसानों की मदद की है।

पटसन -आईसीईआर पहल को आगे बढ़ाने के लिए कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा किए गए प्रयासों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए श्रीमती ईरानी ने कहा कि ईमानदारी से किए गए इन प्रयासों और कुशल समन्वय के वांछित परिणाम सामने आए हैं।

कपड़ा मंत्रालय ने अपने राष्ट्रीय पटसन बोर्ड आयुक्त तथा भारतीय पटसन निगम के क्षेत्रीय कार्यालयों और कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के तहत आईसीएआर सीआरआईजेएएफ के सहयोग से पटसन बीज वितरण कार्यक्रम और पटसन किसान जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया था।

कार्यक्रम में पश्चिम बंगाल के पटसन उत्पादक किसानों,केंद्रीय सचिव (कपड़ा मंत्रालय) श्री उपेंद्र प्रताप सिंह, केंद्रीय सचिव (कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय) श्री संजय अग्रवाल,  कपड़ा मंत्रालय, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, राष्ट्रीय पटसन बोर्ड आयुक्त तथा भारतीय पटसन निगम के क्षेत्रीय कार्यालयों, आईसीएआर -सीआरजेएएएफ, आईसीएआर-एनआईएनएफईटी और राष्ट्रीय बीज निगमके वरिष्ठ अधिकारियों और उद्योग संगठनों ने भाग लिया।

श्रीमती ईरानी ने बताया कि कपड़ा मंत्रालय के प्रस्ताव पर जनवरी और मार्च, 2017 में, कृषि मंत्रालय ने भारतीय पटसन निगम, पटसन उत्पादक राज्यों के संबंधित अधिकारियों को आईसीएआरई कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया था। इसमें कपड़ा मंत्रालय, पटसन संगठनों, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय,स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अधिकारियों तथा जूट उत्पादक राज्यों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। उन्होंने कहा कि यह भारत सरकार के विभिन्न विभागों के बीच तालमेल और समन्वय का एक बहुत ही जीवंत उदाहरण है।

केन्द्रीय मंत्री ने बताया कि अगस्त 2020 मेंसरकार ने बड़ी संख्या में पटसन उत्पादक किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए वाणिज्यिक बीज कार्यक्रम के माध्यम से प्रमाणित पटसन के बीजों के वितरण में तेजी लाने का संकल्प लिया था। इसके तहत जेसीआई के माध्यम से पटसनके10,000 क्विंटल प्रमाणित  बीज वितरित किया जाना तय किया गया था। उन्होंने कहा कि इस कदम से लगभग 5 लाख पटसन उत्पादक किसानों को फायदा होगा।

श्रीमती ईरानी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि सरकार ने पटसन के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 2014-15 के 2400 रुपए से बढ़ाकर 2020-21 में 4225 रुपए कर दिया है।

पटसन के तनों से रेशों को अलग करने की प्रक्रिया का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इसके लिए भारत सरकार ने पटसनउत्पादक किसानों की उत्पादकता, गुणवत्ता और आय बढ़ाने के लिए 46000 रेट्टिंग टैंकों के निर्माण को मंजूरी दी है।यह काम केन्द्र सरकार की  मनरेगा, पीएमकेएसवाई, आरकेवीवाई औरआईसीएआरई जैसी योजनाओं के समन्वय से किया जाएगा।उन्होंने कहा कि इससे न केवल रेट्टिंग प्रक्रिया का समय 7 दिन घट जाएगा,

बल्कि पटसन उत्पादक राज्यों विशेष रूप से पश्चिम बंगाल में ग्रामीण जन के लिए रोजगार के 46 लाख मानव-दिवस अवसर भी उपलब्ध होंगे। केन्द्रीय मंत्री ने बताया कि केन्द्र सरकार अकेले नहीं बल्कि मिलकर काम करने के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण का अनुसरण करती है। उन्होंने कहा कि रेट्टिंग टैंक पहल कपड़ा मंत्रालय, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय, पटसन संगठनों, आईसीएआर के संगठनों और राज्य सरकार के बीच समन्वय का एक जीवंत उदाहरण है।

श्रीमती ईरानी ने कहा कि आईसीएआरई की पहल पटसन किसानों की उत्पादकता में 15 प्रतिशत तक सुधार कर उनकी आय में लगभग 10,000 रूपए प्रति हेक्टेयर की वृद्धि कर रही है। उन्होंने कहा कि जेपीएम अधिनियम के माध्यम से, सरकार लगभग 4 लाख श्रमिकों और 40 लाख किसान परिवारों के हितों की रक्षा कर रही है।

श्रीमती ईरानी ने आगे कहा कि सरकार ने एक तकनीकी कपड़ा मिशन को मंजूरी दी है जिसमें पटसन से बने कपड़े भी शामिल किए गए हैं। उन्होंने कहा कि बीआईएस ने पटसन जियो-टेक्सटाइल्स के लिए मानकों को मंजूरी दी है जो तकनीकी टेक्सटाइल मिशन के तहत पटसन जियो-टेक्सटाइल्स को बढ़ावा देने में मदद करेगा।

उन्होंने बताया कि पश्चिम बंगाल में बरहमपुर में एनएच 34 पर 2.4 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण पटसन जियो टेक्सटाइल से किया गया है। पटसन जियो टेक्सटाइल के जरिए राज्य में 450 किलोमीटर ग्रामीण सड़कों तथा पीएमजेवाई के तहत देश भर में लगभग 195 ग्रामीण सड़कों के निर्माण को मंजूरी दी गई है।

उन्होंने सड़क निमार्ण में पटसन जियो टेक्सटाइल के इस्तेमाल के बारे में किसानों को जूट आयुक्त कार्यालय और राष्ट्रीय जूट बोर्ड के माध्यम से जागरुक बनाने की इच्छा जताई।

केन्द्रीय मंत्री ने पटसन आयुक्त, राष्ट्रीय पटसन बोर्ड, जेसीआई और केन्द्रीय पटसन एवं समवर्गीय रेशा अनुसंधान संस्थान सीआरआईजेएएफ को सुझाव दिया कि वह माननीय प्रधानमंत्री की ओर से पटसन उत्पादक किसानों,पटसन श्रमिकों और पटसन कारीगरों को शुभकामनाएं प्रेषित करें और पटसन के विविध उत्पादों और पटसन जियो टेक्सटाइल पर उनके लिए जागरूकता कार्यशालाओं का आयोजन करें ताकि उन्हें इन उत्पादों के फायदों के बारे में बताया जा सके।

इस अवसर पर कपड़ा मंत्रालय के सचिव श्री यूपी सिंह ने कहा कि यह पहल देश में पटसन की बढ़ती मांग और उसकी गुणवत्ता में सुधार को ध्यान में रखते हुए की गई है। उन्होंने आगे कहा कि इस पहल से देश में पटसन का उत्पादन बढ़ेगा और बांग्लादेश से इसके आयात पर हमारी निर्भरता कम होगई। उन्होंने यह भी कहा कि इन प्रयासों से किसानों की स्थिति में सुधार लाने और उनकी आय दोगुनी करने में मदद मिलेगी।

कृषि मंत्रालय के सचिव श्री संजय अग्रवाल ने अपने संबोधन में कहा कि गुणवत्ता वाले पटसन के बीजों से रेशे की महीन किस्म सुनिश्चित होगी। उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन में पटसन को शामिल करने से किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी।


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