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पीएफ में कर्मचारी का मासिक योगदान 12 हजार रुपये है, तो टैक्स चुकाना पड़ेगा

भविष्य के लिए सुरक्षित निवेश के तौर पर लोग PF को चुनते हैं, और फिर जरूरत पड़ने पर इस पैसे को निकालते हैं. लेकिन अब बजट में ऐलान के बाद प्रोविडेंट फंड (पीएफ ) में निवेश करने वालों को भी झटका लगने वाला है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की है कि अब एक वित्त वर्ष में केवल 2.5 लाख रुपये तक के निवेश पर ही टैक्स छूट का लाभ मिलेगा.

वीपीएफ के योगदान पर भी पड़ेगा असर
वॉलिंटरी प्रॉविडेंट फंड (वीपीएफ ) पर भी इस टैक्स की मार पड़ने वाली है. अगर पीएफ में कर्मचारी का मासिक योगदान 12 हजार रुपये है और वॉलिंटरी प्रॉविडेंट फंड में भी योगदान 12 हजार रुपये है. इस तरह से कुल 24 हजार रुपये मासिक योगदान हो जाएगा, इस हिसाब से सालाना 2 लाख 88 हजार रुपये का योगदान होगा. यानी 2.5 लाख रुपये से अतिरिक्त योगदान के ब्याज पर कर्मचारी को टैक्स चुकाना पड़ेगा.

दरअसल, पीएफ पर टैक्स छूट के साथ-साथ अच्छे रिटर्न मिलते हैं. इसलिए लोग पीएफ में निवेश को पहले विकल्प के तौर पर देखते हैं. लेकिन अगर अब आप साल भर में 2.5 लाख रुपये ज्यादा पीएफ में निवेश करते हैं, तो ब्याज से कमाई टैक्स के दायरे में आएगी. फिलहाल पीएफ पर ब्याज दर 8 प्रतिशत है और ब्याज से होने वाली इनकम पूरी तरह टैक्स फ्री है.

मतलब यह है कि अगर किसी के पीएफ में साल में 2.5 लाख से ज्यादा जमा होता है तो उसको इस पर मिलने वाले पर ब्याज पर टैक्स देना होगा. यह नियम 1 अप्रैल 2021 से लागू होगा. कर्मचारियों के प्रोविडेंट फंड में निवेश से सालाना 2.5 लाख रुपये तक के निवेश से होने वाली रिटर्न आय को ही टैक्स फ्री रखा गया. अब इससे ऊपर के निवेश से मिलने वाले रिटर्न पर टैक्स लगेगा.

पीएफ का एक हिस्सा कंपनी देती है, जिसमें आप काम करते हैं और एक हिस्सा कर्मचारी देता है. नए प्रावधान वाला टैक्स केवल कर्मचारी के योगदान पर ही लगेगा. सरकार की दलील है कि टैक्ट छूट को युक्तिसंगत बनाने के लिए ऐसा कदम उठाया गया है. जिन कर्मचारियों को ज्यादा सैलरी मिलती है और एक बड़ा हिस्सा पीएफ में निवेश करके ब्याज के पैसे को टैक्स फ्री करवा लेते थे, सरकार उन पर शिकंजा कसना चाहती है.

एक उदाहरण से समझते हैं कि कितने ब्याज पर टैक्स लगेगा. अगर कर्मचारी का पीएफ में सालाना योगदान 3 लाख रुपये है तो 2.5 लाख रुपये के पीएफ योगदान पर कोई टैक्स नहीं लगेगा. बाकी 50000 रुपये के योगदान पर टैक्स लगेगा.

ढाई लाख से ज्यादा निवेश पर टैक्स

मान लीजिए कि पीएफ पर ब्याज दर 8 फीसदी है, इस हिसाब से अतिरिक्त 50 हजार के योगदान पर कर्मचारी को 4000 रुपये ब्याज मिलेंगे. अब अगर कर्मचारी 30 फीसदी वाले टैक्स स्लैब में आता है तो कर्मचारी को 1200 रुपये टैक्स के तौर पर देने पड़ेंगे. इस पर 4 फीसदी का स्वास्थ्य और शिक्षा सेस जोड़ दिया जाए, तो ये टैक्स बढ़कर करीब 1248 रुपये हो जाएगा. यानी अगर सालाना कर्मचारी 3 लाख रुपये पीएफ में जमा करता है, तो उसे टैक्स के रूप में अब 1248 रुपये देने होंगे.

टैक्स कितना कटेगा?
ये टैक्स उतना ही कटेगा, जिस टैक्स स्लैब में कर्मचारी की सैलरी है. यानी कर्मचारी की सैलरी अगर 30 फीसदी वाले टैक्स स्लैब में है, तो पीएफ योगदान 2.50 लाख से ऊपर के ब्याज पर 30 फीसदी ही टैक्स लगेगा.

कौन होगा प्रभावित?
जिन लोगों की सैलरी ज्यादा है, उन पर इसका असर पड़ने वाला है. कम सैलरी वालों को कोई दिक्कत नहीं होने वाली है. जिन कर्मचारियों का पीएफ हर महीने 20 हजार 833 रुपये तक कटता है, उनपर कोई असर नहीं होगा. इससे ऊपर वाले इसके दायरे में आएंगे.

 


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