पूर्वोत्तर भारत में 29 मार्च से 3 अप्रैल, 2021 के दौरान व्यापक रूप से बारिश होने की संभावना
सौराष्ट्र, कच्छ, कोंकण और गोवा में 25 से 27 मार्च के बीच कुछ स्थानों पर और उत्तरी गुजरात क्षेत्र में 27 और 28 मार्च, 2021 को गरम हवाएं चलने की काफी संभावना है
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के राष्ट्रीय मौसम पूर्वानुमान केंद्र के अनुसारः
सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ और उसके कारण उठने वाली चक्रवाती स्थिति के चलते 22 मार्च से 24 मार्च, 2021 तक पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र और पंजाब में काफी बड़े पैमाने पर बारिश/हिमपात/आंधी-तूफान आया। इसी दौरान उत्तर-पश्चिमी और उससे लगने वाले मध्य भारत के अन्य इलाकों में कहीं-कहीं छिटपुट बारिश हुई/आंधी-तूफान आया। 22 से 24 मार्च के दौरान एक या दो दिन तक राजस्थान में भी कहीं-कहीं ओले पड़े/धूल भरी आंधी आई। चक्रवाती स्थिति के कारण देश के मध्य भाग में पिछले सप्ताह (18 से 24 मार्च, 2021) कहीं-कहीं छिटपुट बारिश हुई/आंधी-तूफान आया।
बंगाल की खाड़ी से चलने वाली दक्षिण-पश्चिमी तेज और निचली हवाओं के कारण 29 मार्च से 3 अप्रैल, 2021 की अवधि में उत्तर-पूर्वी भारत में काफी व्यापक रूप से लेकर व्यापक रूप से बारिश होने और कहीं-कहीं भारी बारिश होने का अनुमान है। इस अवधि में इस क्षेत्र में बाढ़ के हालात बनने की भी आशंका है।
25 से 27 मार्च, 2021 के दौरान सौराष्ट्र और कच्छ तथा कोंकण और गोवा में और 27 और 28 मार्च, 2021 को उत्तरी गुजरात क्षेत्र में कुछ इलाकों में तेज गरम हवाएं चलने की संभावना है।
अगले दो सप्ताह का पूर्वानुमान -पहले सप्ताह (25 से 31 मार्च, 2021) और दूसरे सप्ताह (1 से 7 अप्रैल, 2021) के दौरान मौसम व्यवस्था और उससे संबद्ध अवक्षेपण
पहले सप्ताह (25 से 31 मार्च, 2021) में वर्षा के हालात
28-29 मार्च, 2021 को ताजा पश्चिमी विक्षोभ के कारण पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में कहीं-कहीं छिटपुट से लेकर काफी बड़े इलाके में बारिश होने/बर्फ पड़ने की संभावना है। इसके साथ ही हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बिजली कड़कने और जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, गिलगित, बाल्टिस्तान और मुज्जफराबाद में भारी आंधी-तूफान, बिजली कड़कने और ओले पड़ने की संभावना है।
बंगाल की खाड़ी से उठने वाली तेज निचली दक्षिण-पश्चिमी हवाओं के कारण 29 मार्च से 3 अप्रैल, 2021 के बीच पूर्वोत्तर भारत में काफी बड़े पैमाने से लेकर बड़े पैमाने तक आंधी-तूफान के साथ बारिश होने/गरज के साथ बारिश होने/बिजली कड़कने और कहीं-कहीं भारी बारिश होने का अनुमान है। इसके कारण इस अवधि के दौरान कुछ स्थानों पर भूस्खलन होने और सैलाब आने की आशंका है।
पहले सप्ताह के ज्यादातर दिनों में तमिलनाडु, पुद्दुचेरी और करैकल, तेलंगाना, केरल और माहे तथा कर्नाटक के तटवर्ती और दक्षिणी भीतरी इलाकों में कहीं-कहीं छिटपुट बारिश होने और आंधी-तूफान आने की संभावना है। (परिशिष्ट-IV)
उत्तर-पूर्वी राज्य और केरल के कुछ इलाकों में सामान्य और सामान्य से अधिक बारिश होने तथा देश के अन्य भागों में सामान्य से कम बारिश होने की संभावना है। (परिशिष्ट-V)
दूसरा सप्ताह (1 से 7 अप्रैल, 2021) में बारिश की स्थिति
बंगाल की खाड़ी से उठने वाली मजबूत निचली दक्षिण-पश्चिमी हवाओं के कारण उत्तर-पूर्वी राज्यों में दूसरे हफ्ते के पहले भाग में काफी व्यापक से व्यापक पैमान पर बारिश और कहीं-कहीं भारी बारिश होने का अनुमान है। इसके फलस्वरूप इस क्षेत्र में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है।
किसी सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ की अनुपस्थिति में उत्तर-पश्चिमी भारत में बारिश के सामान्य से कम रहने की संभावना है, इसके देश के अन्य भागों में भी सामान्य से कम से लेकर सामान्य रहने की संभावना है।
पहले और दूसरे सप्ताह (25 मार्च से 7 अप्रैल, 2021) में तापमान
पहले सप्ताह के पूर्वार्द्ध में उत्तर-पश्चिमी भारत में अधिकतम तापमान क्रमशः 4-6 डिग्री सेल्सियस बढ़ने का अनुमान है। इस अवधि में मध्य भारत के ज्यादातर हिस्सों में अधिकतम तापमान में क्रमशः 3-5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होने और पूर्वी, पश्चिमी और प्रायद्वीपीय भारत के ज्यादातर हिस्सों में 2-4 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होने की संभावना है।
अगले 4-5 दिनों में देश के सौराष्ट्र और कच्छ तथा गोवा और कोंकण इलाकों को छोड़कर शेष हिस्सों में गरम हवाएं चलने की कोई संभावना नहीं है। सौराष्ट्र और कच्छ तथा कोंकण और गोवा के कुछ हिस्सों में 25 से 27 मार्च के दौरान और उत्तरी गुजरात क्षेत्र में 27-28 मार्च, 2021 को गरम हवाएं चलने की बहुत अधिक संभावना है।
दूसरे सप्ताह के दौरान, उत्तर-पूर्वी भारत को छोड़कर देश के ज्यादातर हिस्सों में सूखा मौसम होने के कारण अधिकतम तापमान क्रमशः बढ़ने की संभावना है। इसलिए उत्तर-पश्चिम, पूर्वी भारत और देश के पूर्वी तटवर्ती हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य से लेकर सामान्य से अधिक रहने की संभावना है। इसके उत्तरी प्रायद्वीप क्षेत्र और उससे लगते मध्य भारत में सामान्य से 1-2 डिग्री सेल्सियस कम रहने की संभावना है। (परिशिष्ट-VI)