बसपा बोली-अन्नदाताओं को राष्ट्र का शत्रु कहा जा रहा, संसद में हंगामा
किसान आंदोलन को लेकर आज भी संसद में हंगामे का माहौल है। अंतरराष्ट्रीय हस्तियों की ओर से किसान आंदोलन पर बयान आने के बाद सरकार ने इसका विरोध किया है और दिल्ली पुलिस ने अंतरराष्ट्रीय साजिश के आरोप में एफआइआर फाइल कर दी है। किसान आंदोलन के मुद्दे को लेकर आज भी संसद में हंगामा हो रहा है।
राज्यसभा में आज बोलते हुए बीएसपी सांसद सतीश मिश्र ने सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि प्रदर्शन स्थलों के पास नाके तय कर दिए गए हैं। मुझे लगता है कि सरकार ने पाकिस्तान की सीमा पर इस तरह की तैयारी नहीं की होगी जैसा कि वह दिल्ली की सीमाओं पर कर रही है। अन्नदाताओं को राष्ट्र का शत्रु कहा जा रहा है।
मैं आपसे आग्रह करता हूं कि अहंकार को दूर करें और तीन कानूनों को निरस्त करें। उन्होंने आगे कहा कि किसानों को दबाने के लिए आपने (सरकार) खाई खोद दी है। आपने यह उनके लिए नहीं, बल्कि खुद के लिए किया है। आपने उनके पानी और बिजली की आपूर्ति और यहां तक कि शौचालयों को हटा दिया, यह सोचे बिना कि महिलाएं भी हैं।
यह एक मानवाधिकार उल्लंघन है। बीजेपी ने सरकार के रुख का समर्थन करने के लिए अपने राज्यसभा सांसदों को आठ फरवरी से 12 फरवरी तक सदन में मौजूद रहने के लिए तीन लाइन का व्हिप जारी किया है। संसद की कार्यवाही शुरू हो गई है। संसद के उच्च सदन यानि राज्यसभा की कार्यवाही शुरू हो गई है।
गुरुवार को संसद में फिर से किसान आंदोलन को लेकर जमकर हंगामा हुआ, जिसके बाद शाम में शुक्रवार सुबह 9 बजे तक के लिए संसद को स्थगित कर दिया गया था।
भाजपा सांसद महेश पोद्दार ने राज्यसभा में देश में ‘कोरोना वायरस महामारी की स्थिति के कुशल संचालन’ को लेकर छोटी अवधि की चर्चा का नोटिस दिया है। राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर शुरू हुई चर्चा गुरुवार को किसानों के मुद्दों के आसपास सिमट गई। हालांकि पहले दिन के मुकाबले यह ज्यादा रोचक हो गई है।
विपक्ष ने कृषि कानूनों व उसके विरोधियों के आंदोलन के मुद्दे पर जहां सरकार की घेराबंदी की, वहीं सत्ता पक्ष ने आंकड़ों के साथ जवाब दिया। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने कहा, हम किसानों के मित्र हैं और उनकी आय दोगुनी करने के प्रति संकल्पित भी हैं। माना जा रहा है कि इस चर्चा का शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जवाब दे सकते हैं।
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए जनता दल (सेक्यूलर) के सांसद व पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने कहा, सरकार को प्रदर्शनकारियों की मांगों पर विचार करना चाहिए और कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए। चर्चा के दौरान पेट्रोलियम मंत्री प्रधान ने आंकड़ों के साथ बताया कि संप्रग सरकार के समय सिर्फ 236 करोड़ रुपये न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के रूप में दिए जाते थे, जबकि हम 10,500 करोड़ की एमएसपी दे रहे हैं।
प्रधान ने गन्ना किसानों के भुगतान समेत किसानों को दी जाने वाली सम्मान निधि का भी जिक्र किया। इस दौरान भाजपा की ओर से कांग्रेस छोड़कर आए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने राहुल गांधी का नाम लिए बिना कहा, जब मोदी के नेतृत्व में पूरा देश कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा था, तो कुछ लोग सिर्फ सवाल पूछ रहे थे। लाकडाउन क्यों किया।
अनलाक क्यों किया। शायद उन्हें पता नहीं है कि यह ऐसा लाकडाउन था, जहां एक व्यक्ति के अनुरोध पर पूरे देश की जनता स्वेच्छा से उसके साथ खड़ी हो गई। वहीं एक लाकडाउन 1975 में था, जब इमरजेंसी लागू की गई थी जो देश की जनता पर थोपा गया था और देश को जेलखाना बना दिया गया था।
सिंधिया ने कांग्रेस को उसके घोषणा पत्र की याद दिलाते हुए कहा, जुबान बदलने की आदत बंद करनी होगी। चित भी मेरी, पट भी मेरी। देश के साथ यह खिलवाड़ कब तक चलेगा। जो कहा है कि उस पर खड़े रहिए।