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भारतीय वायुसेना का विमानों के बेड़े के रखरखाव में स्वदेशीकरण पर जोर

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भारतीय वायु सेना विदेशी मूल के विभिन्न विमानों के बेड़ों का संचालन करती है जिनमें मिग-21 बाइसन से लेकर अत्याधुनिक राफेल विमान शामिल हैं।

आत्मनिर्भरता में वृद्धि के लिए भारतीय वायुसेना का ध्यान अब अपने विमानों के रखरखाव और इससे जुड़े उत्पादों की पूर्ति के स्वदेशीकरण के साथ ही विमानों के स्वदेशीकरण और इस प्रक्रिया में इस्तेमाल होने वाले पुर्जों की आपूर्ति के लिए स्वदेशी मरम्मत और ओवरहाल (आरओएच) सुविधाओं की स्थापना करने पर भी है।

विमान के सामान्य प्रयोजन के पुर्जों, जैसे नट, बोल्ट, केबल, गास्केट, स्प्रिंग्स इत्यादि से लेकर जटिल उच्च प्रौद्योगिकी के पुर्जों जैसे कि एवियोनिक्स उपकरण, एरोएन्जीन एक्सेसरीज़ जैसे विभिन्न प्रकार के पुर्जों और उपकरणों के लिए भारतीय वायुसेना में स्वदेशीकरण की अपार संभावना है।

विमान और प्रणालियों के रखरखाव के लिए पुर्जों का स्वदेशीकरण देश के विभिन्न भागों में स्थित भारतीय वायुसेना के बेस रिपेयर डिपो (बीआरओ) और नासिक में स्थित नंबर 1 केंद्रीय स्वदेशीकरण और विनिर्माण डिपो (सीआईएमडी) के माध्यम से किया जाता है।

भारतीय वायुसेना के आत्मनिर्भर भारत मिशन पर ध्यान केंद्रित करने के हिस्से के रूप में वायुसेना स्वदेशीकरण की तेजी से ट्रैकिंग करने के साथ-साथ भारतीय एयरोस्पेस और रक्षा उद्योग, विशेषकर सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) की भागीदारी के दायरे को बढ़ा रही है।

इसकी ओर वायुसेना ने पहले ही लगभग 4000 पुर्जों के स्वदेशीकरण आवश्यकताओं की पहचान कर ली है। स्वदेशीकरण के लिए महत्वपूर्ण आवश्यकताओं में एविएशन ग्रेड फिल्टर (ईंधन, हाइड्रोलिक और न्यूमैटिक), एयरोसाइन बियरिंग्स, हाइड्रोलिक और न्यूमैटिक हॉज, मल्टीफ़ंक्शन डिस्प्ले, एविएशन ग्रेड सर्किट ब्रेकर, लैंप फिलामेंट्स, स्पार्क प्लग आदि शामिल हैं। इस जोरदार स्वदेशीकरण अभियान में भारतीय वायुसेना के साथ हाथ मिलाने के लिए एमएसएमई सहित भारत में एयरोस्पेस और रक्षा उद्योग के भागीदारों के लिए प्रचुर अवसर उपलब्ध हैं।

 


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