मामूली दर पर जल के नमूनों की जांच करने के लिए 2,000 प्रयोगशालाओं को खोला गया
जल गुणवत्ता की जांच रिपोर्ट का सृजन ऑनलाइन किया जा रहा है और यह नागरिकों को संबंधित जन स्वास्थ्य अभियंता को उसकी एक प्रतिलिपि प्रदान करने के साथ-साथ भेजा जा रहा है क्योंकि अगर तत्काल कोई सुधारात्मक कार्रवाई करने की आवश्यकता हो तो किया जा सके
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा देश के प्रत्येक ग्रामीण घरों में 2024 तक, नियमित और दीर्घकालिक रूप से, पर्याप्त मात्रा में और निर्धारित गुणवत्ता के साथ पीने योग्य नल-जल आपूर्ति का प्रवाधान करने वाले दृष्टिकोण और अभियान की दिशा में बहुत ही तेजी के साथ काम किया जा रहा रहा है।
जिनके माध्यम से पेयजल के क्षेत्र में हमेशा के लिए बदलने आने की संभावना है उस प्रकार के परिवर्तनों में से एक , पूरे देश में लगभग 2,000 प्रयोगशालाओं को आम लोगों के लिए मामूली दर पर अपने जल के नमूनों की जांच करन के लिए खोल दिया गया है। पानी के संयोजन वाले सभी स्रोतों के नमूनों को प्राप्त किया जाता है और जल गुणवत्ता की जांच रिपोर्ट का सृजन ऑनलाइन किया जा रहा है
और यह नागरिकों को संबंधित जन स्वास्थ्य अभियंता को उसकी एक प्रतिलिपि प्रदान करने के साथ-साथ भेजा जा रहा है क्योंकि अगर तत्काल कोई सुधारात्मक कार्रवाई करने की आवश्यकता हो तो किया जा सके और इसे केंद्रीय डाटाबेस में भी रखा जाता है जिससे इसकी निरंतर निगरानी और उपचारात्मक कार्रवाई की जा सके। इसके लिए पीएचईडी/ बोर्ड/ निगमों का आधुनिकीकरण किया जा रहा है जिससे उनमें सही उपयोगिताओं का निर्माण किया जा सके।
ग्रामीण घरों तक स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने की दिशा में सभी प्रकार के प्रयासों को जारी रखते हुए, राज्य के अंतर्गत राज्य मुख्यालय, जिला, ब्लॉक/ सब डिवीजन जैसे विभिन्न स्तरों पर जल की गुणवत्ता का परीक्षण करने वाले प्रयोगशालाओं को प्रमाणीकृत किया जा रहा है
और एनएबीएल मान्यता प्रदान करने की प्रक्रिया जारी है। कोविड-19 महामारी के दौरान मान्यता प्रदान करने की प्रक्रिया की शुरूआत बड़े पैमाने पर की गई है। कोविड-19 महामारी के दौरान, कोविड-19 परीक्षण के लिए अपनाई गई आवश्यकता-आधारित नमूना एवं जांच प्रोटोकॉल को व्यापक रूप से स्वीकार किया गया है और उसकी सराहना की गई है।
इसी प्रकार के दृष्टिकोण को अपनाते हुए, एनजेजेएम द्वारा आईसीएमआर के सहयोग से जांच और आवश्यक कार्रवाई करने के लिए जेजेएम-डब्ल्यूक्यूएमआईएस फ्रेमवर्क विकसित किया गया है। यह पेयजल गुणवत्ता के जांच की निगरानी करने और निगरानी संबंधी सूचना का भंडार के रूप में कार्य करेगा, जिसमें जल गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशालाओं से संबंधित सभी आंकड़े शामिल हैं।
जल जीवन अभियान के अंतर्गत, पानी की गुणवत्ता से प्रभावित बस्तियों में नल जल आपूर्ति की व्यवस्था को प्राथमिकता प्रदान की गई है। अब तक, राज्यों में चिह्नित किए गए 27,544 आर्सेनिक और फ्लोराइड प्रभावित बस्तियों में से 26,492 बस्तियों के लिए पेयजल आपूर्ति प्रदान करने के लिए प्रावधान किए गए हैं।
जब तक पाइपलाइन के माध्यम से जल आपूति संरचना का विकास करने में समय लग रहा है, तब तक राज्यों को इसके लिए अल्पकालिक समाधान के रूप में सामुदायिक जल शोधन संयंत्र (सीडब्ल्यूपीपी) की स्थापना करने की सलाह दी गई है, जिससे पीने और खाना पकाने की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रति व्यक्ति न्यूनतम 8-10 लीटर स्वच्छ जल उपलब्ध कराया जा सके। वर्तमान समय में, पूरे देश में 32,543 सीडब्ल्यूपीपी लगाए जा चुके हैं।
इस अभियान के अंतर्गत, ग्रामीण समुदाय को पानी की गुणवत्ता की निगरानी करने के लिए नियमित रूप से पानी की गुणवत्ता की जांच करने हेतु नेतृत्व प्रदान करने का अधिकार दिया किया गया है। प्रत्येक गांव में, 5 लोगों (महिलाओं को प्राथमिकता) को फील्ड टेस्ट किट (एफटीके) का उपयोग करते हुए जल की गुणवत्ता का परीक्षण करने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है,
जिससे कि वे प्रत्येक वर्ष में कम से दो बार जीवाणु मैलापन और एक बार रासायनिक मैलापन की जानकारी प्राप्त करने के लिए जल स्रोतों और उत्पत्ति स्थलों का परीक्षण कर सकें, जो कि प्रयोगशालाओं में विभागीय स्तर पर जल परीक्षण कार्य के अतिरिक्त है।
जीवन परिवर्तनकारी जल जीवन मिशन के तहत शुरु किये गए मोबाइल ऐप के साथ ही एक ऑनलाइन पेयजल गुणवत्ता प्रबंधन सूचना प्रणाली (डब्ल्यूक्यूएमआईएस) को हाल ही में केंद्रीय जल मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत द्वारा लॉन्च किया गया था। इसका उद्देश्य पानी की गुणवत्ता का डेटा लोगों को उनकी उंगलियों पर उपलब्ध कराना था।