रोजाना 35,000 से अधिक मरीज डिजिटल रूप से स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त करने के लिए ईसंजीवनी का उपयोग कर रहे हैं
भारत की टेलीमेडिसिन सेवा ने 30 लाख परामर्श प्रदान किए
सरकार भारत की राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा-ईसंजीवनी ने 30 लाख परामर्श उपलब्ध कराकर एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। वर्तमान में, राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा 31 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में संचालित है और प्रतिदिन देश के 35,000 से अधिक मरीज स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त करने के लिए इस नवाचारी डिजिटल माध्यम – ईसंजीवनी का उपयोग कर रहे हैं।
राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा स्थापित की गई है। दो प्रकार की ईसंजीवनी सेवाएं शामिल हैं। पहली सेवा, डॉक्टर से डॉक्टर (ईसंजीवनी एबी-एचडब्ल्यूसी) टेलीमेडिसिन प्लेटफ़ॉर्म जो हब और स्पोक मॉडल पर आधारित है, जबकि दूसरी सेवा, मरीज से डॉक्टर टेलीमेडिसिन प्लेटफ़ॉर्म (ईसंजीवनी ओपीडी) है,
जो मरीजों को उनके घरों पर ही ओपीडी सेवाएं प्रदान करती है। ईसंजीवनी एबी-एचडब्ल्यूसी आयुष्मान भारत योजना के तहत स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों में लागू की जा रही है। दिसंबर 2022 तक इस सेवा को पूरे भारत में 1,55,000 स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों में संचालित कर दिया जाएगा।
यह योजना नवंबर 2019 में शुरू की गई थी और आंध्र प्रदेश ईसंजीवनी एबी-एचडब्ल्यूसी शुरू करने वाला पहला राज्य था। इसकी शुरूआत से लेकर अभी तक विभिन्न राज्यों में 1,000 से अधिक केन्द्र और लगभग 15,000 स्पोक्स स्थापित किए गए हैं। ईसंजीवनी एबी-एचडब्ल्यूसी ने लगभग 9 लाख परामर्श पूरे कर लिए हैं।
ईसंजीवनी ओपीडी में स्थापित 250 से अधिक ऑनलाइन ओपीडी के माध्यम से नागरिकों को डिजिटल स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। इन ऑनलाइन ओपीडी में 220 से अधिक विशेषज्ञ ओपीडी हैं और शेष सामान्य ओपीडी हैं। ईसंजीवनी ओपीडी देश में पहले लॉकडाउन के दौरान 13 अप्रैल 2020 को शुरू की गई थी, अन्य सभी ओपीडी बंद कर दी गई थीं। अभी तक ईसंजीवनी ओपीडी के माध्यम से 21 लाख से अधिक रोगियों को सेवा प्रदान की गई है।
थोड़े समय में ही भारत सरकार की टेलीमेडिसिन सेवा ने शहरी और ग्रामीण भारत में मौजूद डिजिटल स्वास्थ्य विभाजन को जोड़कर भारतीय स्वास्थ्य सेवा वितरण प्रणाली में सहायता देने की शुरूआत कर दी है। यह सेवा जमीनी स्तर पर डॉक्टरों और विशेषज्ञों की कमी को भी दूर कर रही है तथा माध्यमिक और तृतीयक स्तर के अस्पतालों पर पड़ने वाला बोझ भी कम कर रही है। राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन के अनुरूप ईसंजीवनी देश में डिजिटल स्वास्थ्य इकोसिस्टम को भी बढ़ावा दे रही है।
ईसंजीवनी को अपनाने (परामर्शों की संख्या) के मामले में शीर्ष 10 राज्यों के नाम इस प्रकार हैं- तमिलनाडु (6,42,708), उत्तर प्रदेश (6,31,019), कर्नाटक (6,07,305), आंध्र प्रदेश (2,16,860), मध्य प्रदेश (2,04,296), गुजरात (1,95,281), केरल (93,317), महाराष्ट्र (84,742), उत्तराखंड (74,776) और हिमाचल प्रदेश (67,352)।
जिलों में इस सेवा को अपनाने के मामले में ईसंजीवनी का उपयोग लगभग 600 जिलों में नागरिकों द्वारा किया गया है। राष्ट्रीय स्तर पर, 31,000 से अधिक डॉक्टरों और पैरामेडिक्स को प्रशिक्षित करके ईसंजीवनी में शामिल किया गया है और इनमें से 14,000 डॉक्टर ईसंजीवनी ओपीडी पर टेलीमेडिसिन की प्रैक्टिस करते हैं और 17,000 से अधिक डॉक्टर और सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी ईसंजीवनी एबी-एचडब्ल्यूसी का उपयोग करते हैं।
ईसंजीवनी को शीघ्र और व्यापक तौर पर अपनाना यह दर्शाता है कि बाह्य रोगियों की विजिट के महत्वपूर्ण हिस्से का दूर से ही प्रभावी ढंग से नैदानिक प्रबंध किया जा सकता है। जिन रोगियों को अत्यावश्यक चिकित्सा की जरूरत नहीं है, वे ईसंजीवनी का उपयोग कर रहे हैं और चिकित्सा की गुणवत्ता से समझौता किए बगैर ही संक्रमित होने के जोखिम से भी अपना बचाव कर रहे हैं।
सबसे बड़ी संख्या में परामर्श प्राप्त करने वाले शीर्ष पांच जिलों के नाम इस प्रकार हैं – सलेम, तमिलनाडु (1,23,658), मदुरै, तमिलनाडु (60,547), हासन, कर्नाटक (43,995), मेरठ, उत्तर प्रदेश (35,297) और रायबरेली, उत्तर प्रदेश (34,227) । ये आंकड़े दर्शाते है कि थ्री टिअर और 4 टिअर शहरों में नागरिकों ने ईसंजीवनी को अधिक उपयोगी पाया हैं।
इसके अलावा ईसंजीवनी ओपीडी के 18.15 प्रतिशत मरीज 18 वर्ष तक के आयु वर्ग के हैं और अधिकांश मरीज (50.35 प्रतिशत), 20 से 40 वर्ष तक के आयु वर्ग के है, और 20.89 प्रतिशत 40 से 60 वर्ष तक की आयु वर्ग के हैं और लगभग 9 प्रतिशत मरीज वरिष्ठ नागरिक हैं। ये आंकड़ें दर्शाते है कि ईसंजीवनी ओपीडी में महिला रोगियों (54.66 प्रतिशत) की संख्या पुरुष रोगियों की संख्या से अधिक है।
सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ़ एडवांस्ड कंप्यूटिंग, मोहाली के स्वास्थ्य सूचनाविज्ञान समूह का केन्द्र समस्त तकनीकी सेवाएं और न्यूनतम व्यवधान के साथ क्लीनीशियन प्रशिक्षण के अलावा ईसंजीवनी निर्धारित वर्कफ्लो विकास कार्यान्वयन, परिचालन प्रबंधन से सहायता भी उपलब्ध करा रहा है।
स्वास्थ्य मंत्रालय राज्यों के साथ परामर्श करके ईसंजीवनी के आसपास नवाचारी और उच्च प्रभावी सेवाओं का भी प्रस्ताव कर रहा है और और सी-डैक मोहाली मरीजों और डॉक्टरों को सशक्त बनाने के लिए नई और उपयोगी सेवाओं और कार्यक्षमताओं के साथ ईसंजीवनी को समृद्ध बनाने के लिए काम कर रहा है।
जल्द ही आईओएस ऐप स्टोर पर ईसंजीवनी ओपीडी का आईओएस ऐप उपलब्ध कराया जाएगा और इससे देश में राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा तक पहुंच में बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। झारखंड सरकार ईसंजीवनी ओपीडी पर एक विशेष ओपीडी स्थापित कर रही है, जो टीकाकरण के लिए जनता को कोविड-19 सह-रूग्णता ई-प्रमाणपत्र जारी करेगा।
देश में चल रहे कोविड-19 के टीकाकरण के मौजूदा चरण में ऐसे सभी नागरिक जो वृद्ध हैं, या 1 जनवरी 2022 तक जिनकी आयु 45 वर्ष से 59 वर्ष हो जाएगी और जो विशेष रोग से ग्रस्त हैं, जिन्हें कोविड-19 (एनईजीवीएसी) के लिए टीकाकरण करने के बारे में राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह ने सिफारिश की है उन्हें पंजीकृत चिकित्सक के उक्त आशय के प्रमाणन की शर्त पर टीका लगाया जाएगा।