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लोन मोरेटोरियम मामले की सुनवाई 5 नवंबर तक टाली गई

कोरोना महामारी के दौरान कर्ज की किस्त टालने (लोन मोरेटोरियम) के मामले की सुनवाई 5 नवंबर तक के लिए टल गई है। सालिसिटर जनरल तुषार मेहता के सेन्ट्रल विस्टा परियोजना को चुनौती देने वाले मामले की सुनवाई में व्यस्त होने के कारण केन्द्र सरकार के अनुरोध पर सुप्रीम कोर्ट ने लोन मोरेटोरियम मामले की सुनवाई 5 नवंबर तक के लिए टाल दी।

कई याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मोरेटोरियम अवधि का ब्याज पर ब्याज वसूले जाने को चुनौती दी है। जिस पर कोर्ट सुनवाई कर रहा है। इस मामले में वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक आफ इंडिया पहले ही सुप्रीम कोर्ट को हलफनामा दाखिल कर बता चुके हैं कि सरकार ने मोरेटोरियम अवधि का ब्याज पर ब्याज न वसूले जाने की योजना तैयार की है

और 2 करोड़ तक कर्ज लेने वालों से मोरेटोरियम अवधि का ब्याज पर ब्याज नहीं लिया जाएगा। यह भी बताया था कि 2 करोड़ तक के कर्ज पर चक्रवृद्धि ब्याज और साधारण ब्याज के बीच का वसूला गया अंतर 5 नवंबर तक कर्जदारों के खातों में वापस कर दिया जाएगा। मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट मे सुनवाई होनी थी लेकिन केन्द्र सरकार की ओर से अनुरोध पत्र देकर कोर्ट से सुनवाई स्थगित करने का आग्रह किया गया था।

केन्द्र ने अपने पत्र में कहा था कि एक दूसरी विशेष पीठ में सेन्ट्रल विस्टा योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है और उस मामले में केन्द्र सरकार की ओर से सालिसिटर जनरल तुषार मेहता अपना पक्ष रखेंगे इसलिए वह मंगलवार को लोन मोरेटोरियम केस की सुनवाई में हिस्सा नहीं ले पाएंगे। न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने केन्द्र सरकार का अनुरोध स्वीकार करते हुए सुनवाई 5 नवंबर तक के लिए टाल दी।


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