वैक्सीन सिरिंज कंपनियों को मिलने लगे ऑर्डर
कोरोना महामारी से बचाव के लिए जरूरी वैक्सीन की तैयारी अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। इस बात के संकेत वैक्सीन सिरिंज बनाने वाली कंपनियों को मिलने वाले सरकारी आर्डर से मिल रहे हैं।
सिरिंज निर्माता कंपनियां इन दिनों तेजी से उत्पादन क्षमता का विस्तार कर रही है। वहीं, देश की वैक्सीन निर्माता कंपनियां भी अपनी क्षमता में 40-50 फीसद तक का इजाफा कर चुकी है। कंपनियों को कोवैक्स सिरिंज के लिए विदेशी आर्डर भी मिलने लगे हैं।
सरकार पीपीई किट और कोरोना बचाव से जुड़ी दवा की तरह वैक्सीन सप्लाई में भी भारत को विश्व का अग्रणी देश बनाना चाहती है। इसे देखते हुए सरकार की तरफ से पूरी तैयारी की जा रही है, ताकि वैक्सीन आने से पहले वितरण चेन और उसे देने की पूरी तैयारी रहे। इस पूरे मामले की निगरानी प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से की जा रही है।
ऑल इंडिया सिरिंज एंड निडल्स मैन्यूफैक्चरिंग एसोसिएशन के मुताबिक कोरोना वैक्सीन को देने के लिए 0.5 एमएल सिरिंज की आवश्यकता होगी। एसोसिएशन के अनुमान के मुताबिक दुनिया की 60 फीसद आबादी को वैक्सीन देने के लिए कम से कम शुरुआती चरण में 800-1000 करोड़ सिरिंज की उपलब्धता रखनी होगी।
अकेले भारत में वैक्सीन के एक शॉट के लिए 90 करोड़ सिरिंज की जरूरत पड़ सकती है। यही वजह है कि भारत की सिरिंज निर्माता कंपनियां तेजी से अपनी क्षमता का विस्तार कर रही हैं। इस क्षमता विस्तार में कंपनियां करोड़ों रुपए निवेश भी कर रही हैं।
हिन्दुस्तान सिरिंजेज एंड मेडिकल डेवाइस लिमिटेड (एचएमडी) के एमडी राजीव नाथ कहते हैं, इस साल जून में उनकी सिरिंज उत्पादन क्षमता 57 करोड़ सालाना थी जो वर्तमान में 70 करोड़ की हो चुकी है और अगले साल जून तक 100 करोड़ करने का लक्ष्य रखा गया है।
नाथ ने बताया कि उनकी कंपनी को भारत सरकार से 17 करोड़ कोवैक्स सिरिंज सप्लाई का ऑर्डर मिला है जिसकी आपूर्ति मार्च तक हो जाएगी। कोरोना वैक्सीन से जुड़ी सिरिंज की मांग यूनिसेफ से भी निकल रही है। एचएमडी यूनिसेफ को कोवोक्स के लिए 10 करोड़ सिरिंज भेज चुकी है।
सूत्रों के मुताबिक भारत सरकार सिरिंज कंपनियों से दिसंबर तक सप्लाई पूरा करने के लिए कह रही है। सूत्रों के मुताबिक, वैक्सीन बनाने वाली भारतीय कंपनियों की उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) एवं नीति आयोग के साथ कई चरण की बैठकें हो चुकी हैं। सूत्रों के मुताबिक इन कंपनियों को अपनी उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी के लिए कहा गया है ताकि सिर्फ भारत ही नहीं अन्य देशों को ध्यान में रखते हुए वैक्सीन का उत्पादन किया जा सके।
कोरोना महामारी के आरंभिक चरण में भारत की तरफ से 50 से अधिक देशों को पारासीटामोल व हाइड्रोक्लोरोक्वीन जैसी दवाओं की आपूर्ति की गई। कई देशों को पीपीई किट व मास्क की भी आपूर्ति की गई। अब वैक्सीन सप्लाई में भी भारत चेन का प्रमुख हिस्सा बनना चाहता है।