Western Times News

Gujarati News

शहरों के मास्टर प्लान में ‘शहरी नदी योजना’ और ‘शहरी जल प्रबंधन योजना’को एकीकृत करने की योजना

नदियों के संरक्षण के लिए सतत मानव अवस्थापन की जरूरत है: अमिताभ कांत

विशेषज्ञों ने नदी केंद्रित शहरी विकास के लिए योजनाओं पर चर्चा की और प्रस्ताव रखें

पांचवें भारत जल प्रभाव शिखर सम्मेलन 2020 के दूसरे दिन “नदी संरक्षण समन्वित मानव अवस्थापन” पर ध्यान केंद्रित किया गया। नदी किनारे बसे शहरों का विस्तार और विकास जारी है जिससे नदियों पर जल निकासी और प्रदूषण का अतिरिक्त भार पड़ रहा है। इसलिए शहरी क्षेत्रों में समस्याओं और संचालकों पर ध्यान दिए बिना नदी के स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं हो सकता।

नीति अयोग के सीईओ श्री अमिताभ कांत ने पांचवें शिखर सम्मेलन में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों को एक साथ लाने के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) को बधाई देते हुएकहा कि विशेष रूप से भारत में नदियां विश्वास, आशा, संस्कृति और पवित्रता का प्रतीक हैं। साथ ही वे लाखों लोगों की आजीविका का स्रोत हैं।

उन्होंने सामुदायिक भागीदारी पर जोर देते हुए कहा, “डेटा और संख्या पर्याप्त नहीं है, नदियों के लिए लोगों में जुनून की जरूरत है। जुनून और लोग एक साथ मिलकर प्रशासन को नदी के कायाकल्प की दिशा में काम करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।” श्री कांत ने यह भी कहा कि नमामी गंगे अपने बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण के साथ, एक सकारात्मक प्रभाव डालने में सफल रहा है।

सेंटर फोर गंगा रिवर बेसिन मैनेजमेंट एंड स्टडीज (सीगंगा) के संस्थापक प्रमुख प्रो. विनोद तारे ने बताया कि नदी संरक्षण और विकास एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। प्रधानमंत्री के “वोकल फोर लोकल” अभियान से प्रेरणा लेते हुए उन्होंने सुझाव दिया कि स्थानीय जल निकायों को स्थानीय लोगों द्वारा प्रबंधित किया जाना चाहिए और स्थानीय जरूरतों को पूरा करना चाहिए। इससे स्थानीय रोजगार पैदा होगा और जल परिवहन की लागत कम होगी।

एनएमसीजी के महानिदेशक श्री राजीव रंजन मिश्रा ने मौजूदा नदियों वाले शहरों को नदियों के प्रति संवेदनशील बनाने और साथ ही भारत में तेजी से हो रहे शहरीकरण के साथ ये समस्याएं दोहरायी ना जाएं यह सुनिश्चित करने से जुड़ेराष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के सपने को साझा करते हुए कहा, “हम शहरों के मास्टर प्लान में ‘शहरी नदी योजना’ और ‘शहरी जल प्रबंधन योजना’को एकीकृत करने के लिए काम कर रहे हैं और दिल्ली के लिए तैयार किया जा रहा नया मास्टर प्लान नदी के प्रति संवेदनशील होगा।”

चूंकि आज अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस 2020 था, उन्होंने नदियों सहित पूरे पारिस्थिति की तंत्र में पहाड़ों के महत्व के बारे में बात की। ज्यादातर नदियां पहाड़ों से निकलती हैं।

नीदरलैंड के जल अनुसंधान संस्थान डेल्टारेस के विशेषज्ञ श्री कीज बोंस ने अपने अनुभव से मिले तीन प्रमुख तथ्य पेश किए। ये चीजें हैं- यह सुनिश्चित करना कि कोई भी नया विकास या प्रगति सतत हो और उससे कोई और समस्या जन्म न ले, एक एकीकृत दृष्टिकोण और प्रकृति आधारित समाधानों का पालन करना, और तकनीकी ढांचागत समाधानों की योजना बनाते रहना।

हाल ही में सीगंगा ने ब्रिटिश वॉटर के साथ एक सहमति ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया। इसके तहत जल एवं पर्यावरण क्षेत्र में 21 वीं सदी के बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए अपने भारतीय समकक्षों के साथ मिलकर काम करने की खातिर ब्रिटिश उद्योग के लिए एकसंपर्क सेतु बनाया जाएगा। भारत को अपने हरित विकास कार्यक्रम के वित्तपोषण के लिए वैश्विक पूंजी आधार का लाभ उठाने में मदद करने के लिए ब्रिटेन एक प्रमुख भागीदार भी बन रहा है। ब्रिटेन में भारत की उच्चायुक्त गायत्री आई. कुमार ने ‘वैश्विक जल सुरक्षा एवं कॉप-26 तक का सफर’ विषय पर आयोजित एक सत्र में कहा, “हम ब्रिटेन के निवेशकों को लगातार आकर्षित कर रहे हैं और भारत में विशेष रूप से जल क्षेत्र में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।”

पांचवें भारत जल प्रभाव शिखर सम्मेलन 2020 का आयोजन एनएमसीजी और उसके थिंक टैंक, सेंटर फोर गंगा रिवर बेसिन मैनेजमेंट एंड स्टडीज (सीगंगा) ने किया है। इस साल अर्थ गंगा-नदी समन्वित विकास के विषय के साथ कार्यक्रम वर्चुअल प्लेटफॉर्म के जरिए आयोजित किया गया।


Read News In Hindi

Read News in English

Copyright © All rights reserved. | Developed by Aneri Developers.