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2030 में भारत का इलेक्ट्रिक वाहन वित्त पोषण उद्योग 3.7 लाख करोड़ रुपए का हो जाएगा

प्रतिकात्मक

नई रिपोर्ट में लागत घटाने तथा इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए वित्त पोषण बढ़ाने के लिए सॉल्यूशन टूलकिट का प्रस्ताव

भारत की सड़कों पर 2030 तक 50 मिलियन इलेक्ट्रिक वाहन उतारने के काम में तेजी

नीति आयोग और रॉकी माउंटेन इंस्टीट्यूट (आरएमआई) इंडिया ने भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए वित्त पोषण पर एक नई रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को अपनाने में वित्त की भूमिका दिखाई गई है और यह विश्लेषण किया गया है कि इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग अवसंरचना तथा बैट्रियों में अगले दशक में संचित रूप से 266 बिलियन डॉलर (19.7 लाख रुपए) के पूंजीनिवेश की जरूरत है।

रिपोर्ट में 2030 में इलेक्ट्रिक वाहनों के वित्त पोषण के लिए 50 बिलियन डॉलर (3.7 लाख करोड़ रुपए) का बाजार है जो भारत के खुदरा वाहन वित्त पोषण उद्योग के वर्तमान आकार से 80 प्रतिशत अधिक है। भारत का वर्तमान वित्त पोषण उद्योग 60 बिलियन डलर (4.5 लाख करोड़ रुपए) का है।

नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहन परिसंपत्तिंयों तथा अवसंरचना के लिए पूंजी और वित्त जुटाना समय की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से घरेलू स्तर पर अपनाने, इलेक्ट्रिक वाहन मैन्युफेक्चरिंग में वैश्विक स्पर्धा बढ़ाने और एडवांस सेल केमेस्ट्री बैट्री जैसे उपकरणों के लिए हमें बैंकों तथा अनेक वित्त पोषकों की जरूरत है ताकि लागत कम की जा सके और इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए पूंजी प्रवाह में वृद्धि की जा सके।

भारत की इलेक्ट्रॉनिक वाहन ईको सिस्टम में अभी तक टेक्नोलॉजी लागत, अवसंरचना उपलब्धता तथा उपभोक्ता विभाग से जुड़ी बाधाओं को दूर करने पर फोकस पर है। अगली गंभीर बाधा वित्त पोषण की है और इस बाधा को दूर करने की जरूरत है ताकि भारत इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने में तेजी ला सके।

अभी एंड यूजरों को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इन चुनौतियों में ऊंची ब्याज दरें, बीमा की ऊंची दरें तथा ऋण मूल्य अनुपात का कम होना है।

इन चुनौतियों से निपटने के लिए नीति आयोग और आरएमआई ने 10 सॉल्यूशनों की टूल किट चिन्हित की है जिसे बैंकों तथा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के साथ-साथ उद्योग तथा सरकार अपना सकती है ताकि आवश्यक पूंजी जुटाई जा सके।

रॉकी माउंटेन इंस्टीट्यूट के सीनियर प्रींसिपल क्ले स्ट्रैंजर ने कहा कि भारत की सड़कों पर 2030 तक 50 मिलियन इलेक्ट्रिक वाहन उतारने के काम में तेजी लाने के लिए वाहन वित्त पोषण की री-इंजिनिरिंग तथा सार्वजनिक और निजी पूंजी जुटाना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा ये सॉल्यूशन वित्त जुटाने में लाभ प्रदान करेंगे और हम मानते हैं कि भारत से बाहर भी ये सॉल्यूशन प्रासंगिक हैं।

रिपोर्ट में जिन 10 सॉल्यूशनों की सिफारिश की गई है उनमें प्राथमिकता क्षेत्र के लिए ऋण देने तथा ब्याज सहायता देने के उपाय शामिल हैं। अन्य उपाय उत्पाद गारंटी और वारंटी देकर ओईएम तथा वित्तीय संस्थानों के बीच बेहतर साझेदारी बनाने से संबंधित हैं।

एक विकसित और औपचारिक द्वितीयक बाजार इलेक्ट्रिक वाहनों का रि-सेल मूल्य सुधार सकता है। नीति आयोग के वरिष्ठ विशेषज्ञ श्री रणधीर सिंह ने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहन वित्त पोषण की बाधाओं को नवाचारी वित्त पोषण के माध्यम से ढांचागत तरीके से निपटा जा सकता है।

वित्त पोषण से अलग सिफारिशों में डिजिटल रूप से ऋण प्रदान करना, बिजनेस मॉडल नवाचार, फ्लीट तथा एग्रिगेटर विद्युतीकरण लक्ष्य और इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए मुक्त डेटा भंडार बनाना शामिल है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में इलेक्ट्रिक वाहन अपना देश के लिए महत्वपूर्ण आर्थिक, सामाजिक तथा पर्यावरण लाभ हैं।

इलेक्ट्रिक वाहनों की अर्थव्यवस्था में सुधार जारी रहने से नए बिजनेस मॉडल और वित्तीय उपायों को स्वीकार्यता मिलती है और सरकारी कार्यक्रमों में इलेक्ट्रिक वाहनों को शीघ्र अपनाना तथा इसकी घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग करना शामिल है। आने वाले दशक में भारत का इलेक्ट्रिक वाहन बाजार बढ़ेगा।


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