रोप वे और वैकल्पिक परिवहन के साधनों को बढ़ाने पर जोर दे रहा है सड़क मंत्रालय
गडकरी का कहना है कि परिवहन क्षेत्र में वैकल्पिक टिकाऊ आवागमन के साधन विकसित करने के लिए बड़े कदम उठाने होंगे
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय अब रोपवे और अन्य वैकल्पिक परिवहन के साधनों के विकास पर जोर देगा। इस कदम से नए परिवहन क्षेत्र में नियामक के गठन के साथ-साथ अनुसंधान और नई तकनीकों के इस्तेमाल में बढ़ोतरी होगी। ऐसा करने के लिए भारत सरकार (एलोकेशन ऑफ बिजनेस) नियम, 1961 में संशोधन करेगी और नए प्रारूप में उसे अधिसूचित किया जाएगा।
इसका अर्थ यह होगा कि रोपवे और वैकल्पिक परिवहन साधनों के विकास के लिए जरूरी प्रौद्योगिकी, निर्माण, अनुसंधान और उसके लिए जरूरी नीतियां बनाने की जिम्मेदारी सड़क और परिवहन मंत्रालय के पास होगी। प्रौद्योगिकी के लिए संस्थागत, वित्तीय और विनियामक ढांचे का गठन भी इस कदम के तहत किया जाएगा।
इस पहल पर एमएसएमई और सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा शहरी,पहाड़ी और कोने-कोने तक परिवहन की पहुंच बनाने के लिए टिकाऊ वैकल्पिक आवागमन के साधनों को विकसित करना आज की जरूरत है, जिसके लिए बड़े कदम उठाने होंगे।
मंत्री ने कहा, उनका मानना है कि देश में परिवहन क्षेत्र के विकास के लिए वैकल्पिक आवागमन और रोपवे जैसे साधनों को विकसित करना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से देश के कोने-कोने और सुदूर क्षेत्रों से लोगों का आना-जाना बढ़ा है, उसे देखते हुए यह जरूरी है कि सभी विकल्पों को विकसित कर परिवहन के लिए तैयार किया जाये।
इस बदलाव के लिए एक समग्र दृष्टिकोण की जरूरत है। मंत्री ने यह भी बताया कि ये कदम प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की उसी सोच का हिस्सा है, जिसमें नागरिकों की आकांक्षाओं को पूरा करने और उनके जीवन स्तर में सुधार के लिए एकीकृत परिवहन साधनों को विकास किया जा सकेगा।
इन कदमों के यह फायदे होंगे-
-सुदूर क्षेत्र के लिए अंतिम पहुंच तक कनेक्टिविटी
– प्रमुख सड़कों पर ट्रैफिक को कम करना
– विश्व स्तरीय रोपवे बुनियादी ढांचे को विकसित करने की संभावना
-एक संगठित और समर्पित रोपवे और वैकल्पिक परिवहन साधन बनाने वाले उद्योग की स्थापना
-सीपीटी – केबल प्रोपेल्ड ट्रांजिट जैसी नई तकनीक सेक्टर में आ रही है
-असंगठित क्षेत्र के तहत चल रहे रोपवे के लिए सुरक्षा मानदंड स्थापित करना
-सुदूर क्षेत्रों के स्टेशनों पर माल और माल की ढुलाई
-प्रौद्योगिकी क्षेत्र में टैरिफ संरचना का नियमन