1962: द वॉर इन द हिल्स; युद्ध की एक अनसुनी कहानी, 125 सैनिकों ने बहादुरी से 3000 चीनी सैनिकों का सामना किया
सवा सौ जो लड़ें, चीन पे भारी पड़े -अभय देओल अभिनीत एवं महेश मांजरेकर द्वारा निर्देशित डिज़्नी+ हॉटस्टार वीआईपी प्रेज़ेंट्स
सच्ची घटनाओं से प्रेरित अदम्य हिम्मत और साहस की अनकही कहानी, जिसमें 125 सैनिकों ने बहादुरी से 3000 चीनी सैनिकों का सामना किया
मुंबई, लगभग 60 साल पहले हमारे सैनिकों ने हमारे देश के अभिन्न अंग, लद्दाख की रक्षा के लिए अदम्य साहस एवं बहादुरी का परिचय दिया। यह लड़ाई हम आज तक लड़ रहे हैं। यह 125 सैनिकों की कहानी है, जिन्होंने हिम्मत के साथ 3000 चीनी सैनिकों का सामना किया। उनके इस साहस ने इस लड़ाई की कहानी बदल दी। Disney+ Hotstar VIP presents 1962- The War In The Hills, an untold story of a battle
सच्ची घटनाओं से प्रेरित, हॉटस्टार स्पेशल्स 1962: द वॉर इन द हिल्स प्रस्तुत कर रहा है। यह कहानी उन हिम्मती सैनिकों की है, जिन्होंने बहुत सामान्य युद्ध सामग्री होते हुए भी अपने मुकाबले बहुत ज्यादा संख्या में आए सैनिकों को हमारी सीमाओं में घुसपैठ करने से रोक दिया। यह सेना के इतिहास में सबसे महान मुकाबलों में से एक बन गया है।
यह कहानी भारत के इतिहास की समान कहानियों से प्रेरित है, और आज के संदर्भ में जब चीनी घुसपैठ के चलते सीमा पर तनाव बढ़ गया है, तो यह कहानी हमारे सैनिकों की अजेय बहादुरी की याद दिलाती है।
अपनी अद्वितीय भूमिकाओं के लिए पहचाने जाने वाले, अभिनेता अभय देओल इस बार सैनिक की वेशभूषा में दिखेंगे। वो मेजर सूरज सिंह का किरदार निभा रहे हैं, जो ‘सी कंपनी’ नाम की एक बटालियन का नेतृत्व करते हैं। इस सीरीज़ में आकाश ठोसर, सुमीत व्यास, रोहन गंडोत्रा, अनूप सोनी, मेयांग चेंग, माही गिल, रोशेल राव, हेमल इंगले आदि मुख्य भूमिका निभा रहे हैं।
एरे स्टूडियो के साथ साझेदारी में प्रोड्यूस किए गए इस 10 एपिसोड के युद्ध ड्रामा की कहानी चारुदत्त आचार्य ने लिखी है और इसका निर्देशन बॉलिवुड के सर्वोत्तम फिल्म निर्माताओं में से एक, महेश मांजरेकर ने किया है। उन्होंने न केवल युद्ध का खूबसूरती से चित्रण किया है, बल्कि सैनिकों के व्यक्तिगत जीवन एवं देश सेवा के लिए उनका बलिदान भी दिखाया है।
विश्वप्रसिद्ध एक्शन कोरियोग्राफर डॉन ली, जिन्होंने अनेक शानदार फ्रेंचाईज़ी, जैसे पाईरेट्स ऑफ कैरिबियन, स्टार ट्रेक आदि का निर्देशन किया है, इस सीरीज़ में उन्होंने सभी एक्शन सीक्वेंस कोरियोग्राफ की हैं और हर सैनिक की लड़ाई का तरीका अद्वितीय रूप में दिखाया है।
यह सीरीज़ लद्दाख और भारत के दूरदराज के गांवों में शूट की गई है, जिससे यह शो वास्तविक और विश्वसनीय दिखा है। संगीत कहानी का अभिन्न हिस्सा है।
यह चाहत, गर्व और देश सेवा जैसी अनेक भावनाओं को उभारकर प्रस्तुत करता है। हितेश मोदक ने भारत के सर्वश्रेष्ठ सिंगर्स – सुखविंदर सिंह, विजय प्रकाश, सलमान अली, शैली बिदवाईकर और शाहजहां मुजीब आदि की आवाज में 7 गाने कंपोज़ किए हैं। द वॉर इन द हिल्स केवल डिज़्नी+ हॉटस्टार वीआईपी और डिज़्नी+ हॉटस्टार प्रीमियम पर 26 फरवरी, 2021 को रिलीज़ होगी।
डायरेक्टर महेश मांजरेकर ने कहा, ‘‘1962: द वॉर इन द हिल्स इतिहास के उस हिस्से को चित्रित करने के मेरे सपने का परिणाम है, जो लंबे समय पहले भुला दिया गया।
इन 125 सैनिकों का सफर क बयां करती सच्ची घटनाओं से प्रेरित यह कहानी सुनाई जाने योग्य है। हर किरदार के साथ न्याय करने के लिए हमें सालों तक कहानी लिखनी पड़ी।
सेट-अप, कॉस्ट्यूम आदि के साथ वास्तविक स्थानों पर शूटिंग से लेकर, 1962 के युग के चित्रण तक यह प्रोजेक्ट हर मामले में स्मरण योग्य है। लेकिन यह कहानी केवल युद्धभूमि तक सीमित नहीं, इसमें हमें सैनिकों के जीवन, उनके प्यार, इच्छाओं और उनके बलिदानों को दिखाया गया है।’’
अभिनेता अभय देओल ने कहा, ‘‘ऐतिहासिक महत्व की ऐसी कहानियों को सुनाया जाना चाहिए। मेरे लिए मेजर सूरज सिंह की शक्ति, उनके साहस और युद्धभूमि में अंतिम चरण तक अपनी सेना के नेतृत्व की क्षमता को प्रस्तुत करना मेरी व्यक्तिगत जिम्मेदारी की तरह था, साथ ही एक पिता एवं एक पति के रूप में वो अपने जीवन में संतुलन कैसे बिठाते हैं, हमें यह भी प्रदर्शित करना था। यह साहस की अद्भुत कहानी है, जो हर भारतीय के जीवन से जुड़ी है, फिर चाहे वो किसी भी समुदाय या संस्कृति के हों।’’
अभिनेता माही गिल ने कहा, ‘‘1962: द वॉर इन द हिल्स इतिहास की कहानी है, लेकिन यह आज के समय का प्रतिबिंब प्रतीत होती है। यह कहानी न केवल राजनैतिक और भौगोलिक, बल्कि व्यक्तिगत रूप से भी युद्ध के विभिन्न पक्ष दिखाती है। उन सैनिकों के परिवारों पर भी समान फोकस दिया गया है, जिसके कारण इसका दायरा युद्ध ड्रामा के मुकाबले बहुत विशाल है।’’
पृष्ठभूमि सच्ची घटनाओं से प्रेरित 1962: द वॉर इन द हिल्स एक काल्पनिक कहानी है, जो आपको आज तक की सबसे भयंकर लड़ाईयों में से एक का चित्रण करती है। बटालियन ‘सी कंपनी’ के 125 भारतीय सैनिकों ने 3000 सैनिकों की फौज का बड़ी बहादुरी से सामना किया। अपने लीडर, मेजर सूरज सिंह के नेतृत्व में अंतिम सैनिक ने बंदूक की अंतिम गोली तक अदम्य साहस के साथ लड़ाई लड़ी। रेवाड़ी गांव के इस साहसी सैनिक की यह कहानी वर्दी से बाहर के उनके जीवन, उनके व्यक्तिगत संघर्षों, उनकी चाहतों, शोक एवं खुशियों आदि का चित्रण करती है।
ये सैनिक सबसे कठोर युद्ध के मैदान में एकजुट होकर एक सामरिक दर्रे पर दीवार बनकर खड़े हो जाते हैं और घुसपैठ करने वाली सेना को एक प्रमुख हवाई पट्टी तक पहुंचने से रोक देते हैं। वो देश के अभिन्न हिस्से, लद्दाख की रक्षा के लिए अपनी अंतिम सांस तक संघर्ष करते हैं।