बांस की सोर्सिंग और अगरबत्ती निर्माण पारितंत्र को बेहतर बनाने हेतुविचार-विमर्श
एआईएएमए बम्बूसा टुल्डा के उत्पादन के लिए त्रिपुरा बंबू मिशन के साथ साझेदारी करेगा
बेंगलुरु, ऑल इंडिया अगरबत्ती मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (एआईएएमए) ने त्रिपुरा बंबू मिशन द्वारा आयोजित अगरबत्ती इन्वेस्टर्स मीट में त्रिपुरा सरकार द्वारा अगरबत्ती निर्माताओं के लिए जिन पहलों को शुरू करने की योजना बनायी जा रही है उनकी प्रशंसा की और उन्हें अपना समर्थन दिया।
इस अवसर पर एआईएएमए ने त्रिपुरा राज्य के अगरबत्ती निर्माताओं द्वारा की जाने वाली बांस की सोर्सिंग को बढ़ावा देने हेतु विचार-विमर्श भी किये और सुझाव साझा किये। एआईएएमए ने मौजूदा बाधाओं की भी चर्चा की और किस तरह से प्रदेश कच्चे माल की सोर्सिंग की समस्याओं को दूर कर सकता है एवं अगरबत्ती निर्माण का केंद्र बन सकता है, इस बारे में विचार व्यक्त किये। इस कार्यक्रम में कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के 70 से अधिक अगरबती निर्माता शामिल हुए।
इस आयोजन और उसके बाद हुई चर्चा के बारे में विस्तार से बताते हुए, एआईएएमए के वाइस प्रेसिडेंट के श्री विजय एस जी ने कहा, “बांस (बंबूसा टुल्डा) अगरबत्ती बनाने के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण कच्चे माल में से एक है। बाजार की मांग को पूरा करने के लिए उद्योग को एक महीने में 5000टन बंबू स्टिक्स की आवश्यकता होती है,
हालांकि वर्तमान में त्रिपुरा बहुत कम आवश्यकता पूरी कर पाता है। उत्पाद की उपलब्धता की कमी के साथ-साथ सोर्सिंग अनुपालन बाधाओं के कारण मांग और आपूर्ति के बीच काफी अंतर है। हमें खुशी है कि त्रिपुरा बांस मिशन ने आगे कदम बढ़ाया है और राज्य में एक अनुकूल इको-सिस्टम बनाने के लिए तत्पर है जिससे अगरबत्ती और संबंधित उद्योग लाभान्वित होंगे।”
श्री विजय एस जी ने आगे बताया, “राज्य में मिट्टी और जलवायु की स्थिति बम्बूसा टुल्डा की खेती के लिए अनुकूल है। बम्बूसा टुल्डा, अगरबत्ती बनाने के लिए आवश्यक बांस की एक किस्म है। हम पौधे और अंतिम उत्पाद की सोर्सिंग में भी अपना सहयोग देंगे।”
त्रिपुरा बंबू मिशन के विचारों को साझा करते हुए, त्रिपुरा बंबू मिशन के निदेशक, श्री राकेश रावलने कहा, “अगरबत्ती उद्योग तेजी से बढ़ता हुआ एक उद्योग है; यह हमारे क्षेत्र में रोजगार के अवसरों को और अधिक बढ़ाने में सक्षम है और इसलिए हम इस उद्योग के साथ साझेदारी करने के लिए बहुत उत्साहित हैं।”
लगभग 3.6% सीएजीआर के साथ भारतीय अगरबत्ती पिछले कुछ वर्षों में काफी बढ़ रही है। उद्योग का वर्तमान खुदरा मूल्य INR 7,500 करोड़ के आसपास है और INR 1000 करोड़ के राजस्व के साथ उद्योग भी काउंटी से प्रमुख निर्यातकों में से एक है। COVID-19 प्रेरित चुनौतियों जैसे लॉकडाउन और लॉजिस्टिक बाधाओं के बावजूद, उद्योग ने अपनी बिक्री को बनाए रखने में कामयाबी हासिल की है और देश भर में लाभकारी रोजगार प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
इन वर्षों में लगभग 3.6 प्रतिशत के सीएजीआर की गति से, भारतीय अगरबत्ती उद्योग तेजी से बढ़ रहा है। इंडस्ट्री का मौजूदा रिटेल वैल्यू लगभग 7,500 करोड़ रु. है और 1,000 करोड़ रु. के राजस्व के साथ, यह इंडस्ट्री देश के प्रमुख निर्यातकों में से एक बन चुकी है। कोविड-19 से जुड़ी चुनौतियों जैसे कि लॉकडाउन एवं लॉजिस्टिक बाधाओं के बावजूद, इस इंडस्ट्री ने अपनी बिक्री को बनाये रखा है और लाभपूर्ण रोजगार प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। तरह-तरह की अगरबत्तियों की बढ़ती मांग से बड़े पैमाने पर इंडस्ट्री के विस्तार में मदद मिलेगी।