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322.5 करोड़ रुपये की लागत से 1,50,000 ऑक्सीकेयर सिस्टम खरीदे जाएंगे   

पीएम केयर्स के माध्यम से 1.5 लाख ऑक्सीकेयर सिस्टम खरीदे जाएंगे

यह मरीजों के एसपीओ2 स्‍तरों के आंके गए माप के आधार पर उन्‍हें दी जा रही ऑक्सीजन को नियंत्रित रखने के लिए डीआरडीओ द्वारा विकसित एक व्यापक प्रणाली है   

डीआरडीओ ने भारत में कई कंपनियों को यह तकनीक हस्तांतरित की है जो पूरे भारत में सभी के उपयोग के लिए ऑक्सीकेयर सिस्टम तैयार करेंगी

पीएम-केयर्स फंड से 322.5 करोड़ रुपये की लागत से 1,50,000 ऑक्सीकेयर सिस्टम की खरीद को मंजूरी दी गई है। यह मरीजों के एसपीओ2 स्‍तरों के आंके गए माप के आधार पर उन्‍हें दी जा रही ऑक्सीजन को नियंत्रित रखने के लिए डीआरडीओ द्वारा विकसित की गई एक व्यापक प्रणाली है। PM @narendramodi has sanctioned Rs. 322.5 Crore to procure 1,50,000 Oxycare System through PM-CARES Fund.

इस सिस्टम को दो विन्यास में विकसित किया गया है। इसके मूल वर्जन में 10 लीटर वाला ऑक्सीजन सिलेंडर, एक प्रेशर रेगुलेटर-सह-फ्लो कंट्रोलर, एक ह्यूमिडिफायर और नाक के लिए एक लघुनलिका होती है। ऑक्सीजन के प्रवाह को मैनुअल रूप से एसपीओ2 की रीडिंग के आधार पर नियंत्रित या समायेजित किया जाता है।

इसके इंटेलिजेंट विन्यास में मूल वर्जन के अलावा एक लो प्रेशर रेगुलेटर के जरिए ऑक्सीजन के स्वत: नियंत्रण या समायोजन के लिए एक प्रणाली, इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल प्रणाली और एक एसपीओ2 प्रोब शामिल हैं।

एसपीओ2 आधारित ऑक्सीजन नियंत्रण प्रणाली दरअसल मरीज के एसपीओ2 स्तर के आधार पर ऑक्सीजन की खपत का अनुकूलन करती है और प्रभावकारी रूप से पोर्टेबल ऑक्सीजन सिलेंडर के उपयोग की निरंतरता को बढ़ा देती है। सिस्टम से प्रवाह शुरू करने के लिए एसपीओ2 की आरंभिक सीमा वाले माप या मान को स्वास्थ्य कर्मचारियों द्वारा समायोजित किया जा सकता है और सिस्टम द्वारा एसपीओ2 के स्तर की निरंतर निगरानी करने के साथ-साथ इसे दर्शाया भी जाता है।

ऑक्सीकेयर सिस्टम नियमित माप और ऑक्सीजन प्रवाह के मैनुअल समायोजन की आवश्यकता को समाप्त कर स्वास्थ्य कर्मियों के काम के बोझ और जोखिम को कम करता है। इस तरह से यह टेली-परामर्श की भी सुविधाजनक बना देता है।

यह स्वचालित सिस्‍टम इसके साथ ही किसी भी तरह की भारी कमी होने की स्थितियों जैसे कि एसपीओ2 का माप या मान कम होने और प्रोब के डिस्कनेक्ट होने पर उपयुक्त ऑडियो चेतावनी भी देता है। इन ऑक्सीकेयर सिस्टम का उपयोग घरों, क्‍वारंटाइन केंद्रों, कोविड केयर केंद्रों और अस्पतालों में किया जा सकता है।

इसके अलावा, ऑक्सीजन का ज्‍यादा प्रभावकारी उपयोग सुनिश्चित करने के लिए नॉन-रिब्रीथर मास्क (एनआरएम) को ऑक्सीकेयर सिस्टम के साथ एकीकृत किया जाता है जिसके परिणामस्वरूप 30-40% ऑक्सीजन की बचत संभव हो जाती है।

डीआरडीओ ने भारत में कई कंपनियों को यह तकनीक हस्तांतरित की है जो पूरे भारत में सभी के उपयोग के लिए ऑक्सीकेयर सिस्टम तैयार करेंगी।

वर्तमान चिकित्सा प्रोटोकॉल में समस्‍त गंभीर और अति गंभीर कोविड-19 मरीजों के लिए ऑक्सीजन थेरेपी की सिफारिश की गई है। ऑक्सीजन उत्पादन, ढुलाई और भंडारण की वर्तमान स्थिति को देखते हुए ऑक्सीजन सिलेंडर अत्‍यंत प्रभावकारी साबित हुए हैं।

कोविड महामारी की मौजूदा स्थिति में बड़ी संख्या में व्यक्तियों को ऑक्सीजन थेरेपी की आवश्यकता को देखते हुए केवल एक ही प्रकार के सिस्‍टम को हासिल करना व्यावहारिक नहीं हो सकता है क्योंकि सिस्टम के बुनियादी अवयव या उपकरण बनाने वाले सभी विनिर्माण संयंत्र पहले से ही अपनी अधिकतम क्षमता पर काम कर रहे हैं।

मौजूदा परिस्थिति में सिस्टम का उपयुक्‍त मिश्रण और मिलान एक उपयोगी इंतजाम साबित होगा। ऐसे समय में जब कार्बन-मैंगनीज स्टील सिलेंडरों के मौजूदा घरेलू निर्माताओं की क्षमता बेहद सीमित है, डीआरडीओ ने एक विकल्प के रूप में हल्‍की सामग्री वाले पोर्टेबल सिलेंडरों का उपयोग करने का सुझाव दिया है जो सामान्य ऑक्सीजन सिलेंडरों के विकल्प के रूप में बड़ी आसानी से काम में लाए जा सकते हैं।


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