ऐसे कैदी जो सजा की आधी से ज्यादा मियाद जेल में गुजार चुके है, उन्हें रिहा करने पर विचार किया जाए
सुप्रीम कोर्टने कहा, जेल की भीड़ कम करने के लिए रिहा किए जा सकते हैं कैदी
नई दिल्ली : देश की अदालतों में लाखों केस पेंडिंग पड़े हैं. हजारों मामलों में तारीख पर तारीख पड़ती रहती हैं. इसी तरह देरी से मिलने वाले न्याय को लेकर कई मिसालें दी जाती हैं. देश की कई जेलों में क्षमता से ज्यादा कैदी होने की खबरें आ चुकी हैं.
इस बातों को ध्यान में रखते हुए जेल में कैदियों की भीड़ को कम करने के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने निर्देश जारी किए हैं. इसके तहत कहा गया कि अगर तय सजा (तीन, पांच, सात, दस और 20 साल) पाए ऐसे कैदी जो सजा की आधी से ज्यादा मियाद जेल में गुजार चुके है, उन्हें रिहा करने पर विचार किया जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने इस आदेश में कहा है कि अगर ऐसे कैदी लिख कर देते हैं कि उन्होंने जो अपराध किया है उस कृत्य के लिए उन्हें पछतावा है और उन्हें जो जेल की सजा मिली है वह सही है तो सरकार ऐसे कैदियों की बाकी सजा को माफ करने की प्रक्रिया शुरू करने के साथ उन्हें जेल से रिहा कर सकती है.
इस तरह होगी रिहाई – दैनिक हिंदुस्तान में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट (SC) के विस्तृत दिशा-निर्देश के मुताबिक हर जिला जेल का अधीक्षक (Jail SP) ऐसे कैदियों की पहचान कर उनकी सूचना जिला लीगल सेवा समिति को देंगे जो उनकी अर्जी बनाकर सरकार को भेजेगी. राज्य सरकारें इन अर्जियों पर तय समय के अंदर फैसला लेगी. इस योजना में माफ किए दोषियों को हाई कोर्ट (High Court) में दायर अपनी अपीलों को वापस लेना होगा.
न्यायमूर्ति एस के कौल और एम एम सुंदरेश की बेंच ने अपने आदेश में कहा यह प्रकिया पूरी तरह स्वैच्छिक होगी. बेंच ने कहा इस पायलट प्रोजेक्ट को दिल्ली और छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालयों में शुरू किया जाए. जिसकी रिपोर्ट अगले साल जनवरी 2022 में कोर्ट में रखी जाएगी. कोर्ट ने साफ किया कि इस आदेश का मकसद यह नहीं है कि दोषियों से जबरन कबूलनामा लिखवाया जाए और उनके सजा के खिलाफ अपील करने के अधिकार को समाप्त कर दिया जाए.
वहीं उम्रकैद की सजा वाले मामलों में जहां दोषी आठ साल की सजा जेल में काट चुके हैं उनकी बेल अर्जियां लीगल सेवा समित (Legal Service Committee) हाई कोर्ट में दायर करेगी. वहीं 16 साल की कैद काट चुके लोगों को रिहा करने के लिए भी लीगल सेवा समिति अर्जी दायर करेगी. जिसके बाद राज्य सरकारों को भी इन अर्जियों पर तय सीमा के भीतर फैसला लेना होगा.
यूपी सरकार को नोटिस – सुप्रीम कोर्ट ने कैदियों को छोड़ने के इस पायलट प्रोजेक्ट पर यूपी सरकार को नोटिस देते हुए जवाब मांगा है. कोर्ट ने कहा कि यूपी सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य है जहां ऐसे मामले बहुतायत में हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर उत्तर प्रदेश की सरकार (UP Government) एक महीने में सूचनाएं नहीं देती है तो एमाइकस क्यूरी वकील इस मामले का अदालत में उल्लेख करेंगे. जिसके बाद सूबे के मुख्य सचिव को कोर्ट में तलब किया जाएगा. इस मामले की अगली सुनवाई जनवरी 2022 में होगी.