गंगा कनेक्ट कार्डिफ, बर्मिंघम, ऑक्सफोर्ड और लंदन में भी आयोजित किया जाएगा
केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री ने कॉप-26 के बीच ग्लासगो में गंगा कनेक्ट प्रदर्शनी का उद्घाटन किया
गंगा कनेक्ट प्रदर्शनी गंगा नदी बेसिन में विकास दिखाती है
गंगा कनेक्ट एक वैश्विक प्रदर्शनी है जो नदी बेसिन के कई पहलुओं को प्रदर्शित करेगी और इच्छुक पक्षों से जुड़ेगी: श्री भूपेंद्र यादव
केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन और श्रम एवं रोजगार मंत्री, श्री भूपेंद्र यादव ने 8 नवंबर, 2021 को सिटी ऑफ ग्लासगो कॉलेज जो स्कॉटलैंड का सबसे बड़ा शैक्षणिक संस्थान है, में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, सी-गंगा और भारत के उच्चायोग के द्वारा प्रदर्शित गंगा कनेक्ट प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। यह प्रदर्शनी गंगा नदी बेसिन में हुए विकास के स्तर को पर्यावरण हितधारकों के वैश्विक समुदाय को दिखाने का एक प्रयास है, जो यूएन कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (कॉप-26) की बैठक के लिए ग्लासगो में एकत्र हुए हैं।
एक ब्लॉग में, केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री ने कहा, “गंगा कनेक्ट एक वैश्विक प्रदर्शनी है जो नदी बेसिन के कई पहलुओं को प्रदर्शित करेगी और इच्छुक पक्षों से जुड़ेगी। यह परियोजना गंगा और उसके पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित और सुरक्षित रखने और नदी बेसिन के बारे में व्यापक जागरूकता की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।”
केन्द्रीय मंत्री ने आगे कहा कि “प्रदर्शनी गंगा नदी के पारिस्थितिकी तंत्र के आकार, परिमाण और जटिलता की स्पष्ट और गहरी समझ प्रदान करती है और समाधानों पर प्रकाश डालती है, साथ ही स्थितियों पर नवीनतम जानकारी और कार्य पूरा करने की समय सीमा साझा करती है, वहीं भारतीयों के नदियों के साथ गहरे आध्यात्मिक और दार्शनिक जुड़ाव को दर्शाती है, और नदी प्रणाली का कायाकल्प, पुनरुद्धार और संरक्षण में शामिल होने के लिये इच्छुक पक्षों और प्रवासी भारतीयों के साथ जुड़ाव को सक्षम बनाती है। ”
पूरा ब्लॉग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें: https://bhupenderyadav.in/blog/cop26-diary-09-11-2021
ग्लासगो में 10 नवंबर तक चलने वाली इस प्रदर्शनी में स्कॉटिश व्यापार समूहों के साथ-साथ कॉप-26 की बैठकों में भाग ले रहे अंतरराष्ट्रीय आगंतुक और प्रवासी भारतीय बड़ी संख्या में पहुंचे। यह प्रदर्शनी वैश्विक प्रौद्योगिकी और वैज्ञानिक समुदाय के लिए अत्याधुनिक पर्यावरणीय समाधान विकसित करने के लिये गंगा नदी को एक प्रमुख प्रयोगशाला के रूप में सामने रख रही है। इस तरह की पहल दुनिया भर के इनोवेटर को आकर्षित करने और अंतरराष्ट्रीय स्तर की सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों से सीखने का एक शानदार तरीका है।
उद्घाटन से पहले, एक विशेषज्ञ पैनल जिसमें श्री राजीव रंजन मिश्रा, महानिदेशक, एनएमसीजी, प्रो. पॉल लिटिल, कॉलेज के प्राचार्य, श्री रोडी गो, अध्यक्ष,एशिया स्कॉटलैंड संस्थान, सनमित आहूजा, विशेषज्ञ सदस्य, सी-गंगा, प्रोफेसर बॉब फेरियर (निदेशक, जेम्स हटन इंस्टीट्यूट (सीआरईडब्लूएस)), डॉ. इसाबेला गुएरिनी डी क्लेयर (सीओओ, ऑरोरा सस्टेनेबिलिटी ग्रुप), श्री एलन रीड (निदेशक, स्कॉटिश पर्यावरण संरक्षण एजेंसी), श्री जय मलिक (एसोसिएट, फॉर्साइट ग्रुप), डॉ मार्क फ्लेचर (ग्लोबल वाटर लीडर, अरुप), डॉ जेन कैनिबल (तकनीकी निदेशक, होलिस्टिक एनर्जी), डॉ माइकल ग्रोव्स (संस्थापक और सीईओ, टॉपोलिटिक्स), श्री माइकल अलेक्जेंडर (वैश्विक प्रमुख जल, पर्यावरण. कृषि वहनीयता, डियाजियो), श्री केविन ह्यूस्टन (सह-संस्थापक और ओनर, कार्बन मास्टर्स), प्रोफेसर मार्टिन टैंगे (संस्थापक और अध्यक्ष, सेल्टिक रिन्यूएबल्स) शामिल थे , ने एक रणनीतिक चर्चा में भाग लिया जिसमें इस पर बात हुई कि कैसे स्कॉटलैंड और भारत पानी और जलवायु परिवर्तन से जुड़े मुद्दों को हल करने में सहयोग कर सकते हैं।
प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए, प्रो. पॉल लिटिल ने कहा कि यह समय है कि कार्यों को वैश्विक प्राथमिकता दी जानी चाहिए और वैश्विक पर्यावरणीय समस्याओं को हल करने के लिए भारतीय वैज्ञानिकों और सरकार के साथ आने का स्वागत किया। श्री रॉडी गो ने स्कॉटलैंड में उपलब्ध इनोवेशन के बारे में गहराई से बात की जो भारत के सतत विकास प्रयासों में महत्वपूर्ण हो सकते हैं।
श्री राजीव रंजन मिश्रा, महानिदेशक, एनएमसीजी ने गंगा नदी बेसिन के समग्र कायाकल्प के लिए नमामि गंगे के दृष्टिकोण और किये गये कार्यों के बारे में बताया। उन्होंने उल्लेख किया कि कैसे भारत सरकार गंगा प्रणाली के भीतर जटिल मुद्दों को हल करने के लिए वैश्विक सहयोग के लिए तैयार है। आपस में एक दूसरे से सीखने के एक सत्र के रूप में आयोजित विशेषज्ञों का गोलमेज सम्मेलन स्थिरता की ओर उन्मुख नेतृत्व विकसित करने की आवश्यकता,पक्षों के बीच आपसी जुड़ाव को ज्यादा से ज्यादा कारगर बनाने के लिये अनुकूल वातावरण का निर्माण, और साक्ष्य आधारित टिकाऊ कार्य प्रणालियों और दुनिया भर की सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों दोनो से सीखने की जरूरतों से संबंधित है।
गंगा कनेक्ट ग्लासगो में शुरू हो गया है, और कार्डिफ, बर्मिंघम, ऑक्सफोर्ड सहित यूके के विभिन्न शहरों में आयोजित होकर इस महीने के अंत में लंदन में समाप्त होगा।