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कोरोना लॉकडाउन के बावजूद पश्चिम रेलवे के कारगर प्रयासों के फलस्वरूप देश के विभिन्न हिस्सों में अत्यावश्यक सामग्री की आपूर्ति का सिलसिला जारी

गुजरात के कांकरिया यार्ड में एक पार्सल एक्सप्रेस ट्रेन में हो रहे लदान के दो दृश्य ।

14 अप्रैल, 2020 तक राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के बावजूद पश्चिम रेलवे की पार्सल एक्सप्रेस ट्रेनों के साथ मालगाड़ियों के माध्यम से देश के विभिन्न भागों में अत्यावश्यक सामग्री पहुॅंचाने का सिलसिला 6 अप्रैल,2020 को भी जारी रहा। COVID19 के मद्देनजर लॉकडाउन अवधि के दौरान, पश्चिम रेलवे अपनी विभिन्न ट्रेनों के माध्यम से देश के विभिन्न हिस्सों में दूध और अन्य आवश्यक उत्पादों की आपूर्ति सुनिश्चित कर रहा है। इसने छोटे पार्सल आकारों में चिकित्सा वस्तुओं, चिकित्सा उपकरणों आदि जैसी आवश्यक वस्तुओं के परिवहन की जिम्मेदारी भी ली है, क्योंकि यह अपने ग्राहकों की ज़रूरतों के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।

पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी श्री रविन्द्र भाकर द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार पार्सल एक्सप्रेस ट्रेन की एक और सेवा 6 अप्रैल, 2020 को लुधियाना के लिए बांद्रा टर्मिनस से रवाना हुई। यह तीसरी पार्सल एक्सप्रेस सेवा है, जो बांद्रा टर्मिनस से लुधियाना के लिए चली। इससे पहले दो पार्सल एक्सप्रेस ट्रेन सेवाएं 1 और 3 अप्रैल, 2020 को रवाना हुई थीं। इसी तरह एक पार्सल एक्सप्रेस ट्रेन जो गुजरात के कांकरिया के लिए संकरेल माल टर्मिनल से अपनी वापसी यात्रा पर रवाना हुई थी, 6 अप्रैल, 2020 को कांकरिया पहुॅंचने वाली है।

पार्सल एक्सप्रेस ट्रेन, जो असम में चांगसारी के लिए गुजरात में करम्बेली से रवाना हुई थी, 6 अप्रैल, 2020 को अपनी वापसी यात्रा शुरू कर 8 अप्रैल, 2020 को करम्बेली पहुॅंचेगी। पश्चिम रेलवे द्वारा ऐसे सभी आवश्यक प्रयास किए जा रहे हैं, जिनसे आवश्यक वस्तुओं की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके और देश के सभी हिस्सों में मालगाड़ियों के माध्यम से सर्जिकल उपकरण, सैनिटाइजर सहित तमामआवश्यक सामग्री निरंतर पहुॅंचती रहे। सभी मजदूरों को फेस मास्क और साबुन दिए जा रहे हैं और सभी स्थानों पर उचित सामाजिक दूरी के पहलू को भी सुनिश्चित किया जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि पश्चिम रेलवे द्वारा 31 मार्च, 2020 से 15 अप्रैल, 2020 के बीच 18 सेवाओं के साथ चार टाइम टेबल्ड पार्सल एक्सप्रेस ट्रेनें चलाई जा रही हैैं। लॉकडाउन की अवधि के बाद से 22 मार्च से 5 अप्रैल, 2020 तक की अवधि में पश्चिम रेलवे द्वारा कुल 828 रेकों का उपयोग 1.74 मिलियन टन आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति करने के लिए किया गया है। 1983 मालगाड़ियों को अन्य रेलवे के साथ जोड़ा गया है, जिनमें 1019 ट्रेनें सौंपी गईं और 964 ट्रेनों को अलग-अलग इंटरचेंज पॉइंट पर ले जाया गया। पार्सल वैन / रेलवे मिल्क टैंकरों (आरएमटी) के 17 मिलेनियम पार्सल रेकों को आवश्यक वस्तुओं जैसे दूध पाउडर, तरल दूध और अन्य सामान्य उपभोक्ता वस्तुओं की मांगों का पूर्ति करने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में भेजा गया है।

यह भी उल्लेखनीय है कि पश्चिम रेलवे के विभिन्न मंडलों के अलावा सभी कारखानों में भी बडे़ पैमाने पर मास्क और सैनिटाइज़र भी बनाये जा रहे हैं। इस क्रम में 5अप्रैल, 2020 तक लगभग 69000 मास्क और 2100 लीटर से अधिक सैनिटाइज़र बनाया जा चुका है।

श्री भाकर ने बताया कि 5 अप्रैल, 2020 तक कोरोना की वजह से पश्चिम रेलवे पर कुल घाटा 278.56 करोड़ रुपये (उपनगरीय + गैर-उपनगरीय) आंका गया है। इसके बावजूद पश्चिम रेलवे ने अब तक टिकटों के निरस्तीकरण के फलस्वरूप 134.95 करोड़ रु के रिफंड का भुगतान किया है, जिसमें अकेले मुंबई मंडल द्वारा 63.71करोड़ रु.के रिफंड की अदायगी सुनिश्चित की गई है। इस अवधि के दौरान पश्चिम रेलवे पर कुल 21.29 लाख यात्रियों द्वारा अपने टिकट रद्द करवाकर तदनुसार रिफंड प्राप्त किया गया है। उन्होंने बताया कि COVID 19 के दौरान, 22 मार्च से 4 अप्रैल, 2020 तक, भारतीय रेलवे पर हुई कुल कंटेनर लोडिंग का लगभग 42% प्रतिशत हिस्सा पश्चिम रेलवे का है। यह उपलब्धि मुंद्रा और पिपावाव बंदरगाहों द्वारा लगातार उत्कृष्ट प्रदर्शन के कारण सम्भव हो पाई है। यह प्रदर्शन और भी बेहतर हो सकता था, लेकिन पश्चिम रेलवे पर पैसेंजर फ्रेट टर्मिनलों और अंतर्देशीय कंटेनर डिपो का प्रदर्शन लॉकडाउन के कारण प्रभावित होने के फलस्वरूप इसे और बढ़ाना सम्भव नहीं हो पाया।


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