45वां वर्ष पूरा होने से पूर्व, NTPC भारत के बिजली क्षेत्र में बदलाव लाने के लिए पूरी तरह तैयार है
बिजली के सबसे बड़े उत्पादक का मानना है कि राष्ट्र की सेवा सबसे बड़ा सम्मान है; अपार अवसरों के साथ भविष्य उज्ज्वल है
विद्युत मंत्रालय के सार्वजनिक उपक्रम- नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (एनटीपीसी लिमिटेड) ने अपने स्थापना दिवस से पहले राष्ट्र निर्माण और भारत को ऊर्जावान बनाने की प्रतिबद्धता दोहराई है। एनटीपीसी लिमिटेड भारत का सबसे बड़ा बिजली उत्पादक है, जिसने 7 नवम्बर, 1975 को अपनी उद्देश्यपूर्ण यात्रा शुरू की और देश के कोने-कोने तक रोशनी देने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। यह भारत के बिजली क्षेत्र के विकास और परिवर्तन के अगले चरण को पूरा करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
स्थापना दिवस के आयोजन को ऑनलाइन प्लेटफार्मों के माध्यम से मनाया जाएगा और कोविड से उत्पन्न अनिश्चितता के बीच सामाजिक दूरी को बनाए रखा जाएगा, जिसने दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित किया है। यह स्थापना दिवस को भी विशेष बनाता है, क्योंकि एनटीपीसी ने राष्ट्र को निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए इस वर्ष की शुरुआत में लॉकडाउन चरण के दौरान चौबीसों घंटे काम किया।
बिजली हमारे जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा है। लॉकडाउन के दौरान आपातकालीन सेवाएं प्रदान करने और जीवनरक्षक उपकरणों के सुचारू संचालन में 24 घंटे सातों दिन इसकी निर्बाध उपलब्धता अत्यंत महत्वपूर्ण साबित हुई। इससे एनटीपीसी पर अतिरिक्त जिम्मेदारी आ गई और यह मांग से भी अधिक आपूर्ति करने में सक्षम साबित हुआ। हर कोई चिकित्सा पेशेवरों और आवश्यक सेवा प्रदाताओं सहित अग्रणी कोरोना योद्धाओं की सराहना कर रहा है, लेकिन इस महामारी ने बिजली इंजीनियरों को भी नए नायकों की श्रेणी में शामिल किया है।
एनटीपीसी पिछले 45 वर्षों में देश में बिजली क्षेत्र के लिए ध्वजवाहक रहा है। एनटीपीसी 62 गीगावाट की अपनी वर्तमान बिजली उत्पादन क्षमता से बढ़कर वर्ष 2032 तक 130 गीगावाट क्षमता वाली कंपनी बनने की योजना बना रहा है। अक्षय ऊर्जा की दिशा में वैश्विक रुझान के अनुरूप, जो ऊर्जा का एक स्वच्छ स्रोत है, एनटीपीसी इसके माध्यम से 32,000 मेगावाट क्षमता अथवा अगले दशक की शुरुआत में इसके समग्र शक्ति पोर्टफोलियो का 25 प्रतिशत प्राप्त करने की योजना बना रहा है।
वर्तमान में, एनटीपीसी के पास 2,404 मेगावाट की अक्षय ऊर्जा (आरई) परियोजनाएं हैं, जिनमें से 237 मेगावाट एनटीपीसी के मौजूदा स्टेशनों पर जलाशयों में स्थित तैरती सौर परियोजनाओं से संभव है। वास्तव में गैर-पीपीए मोड के तहत स्थापित की जा रही, रामागुंडम 100 मेगावाट फ्लोटिंग सोलर परियोजना देश में सबसे बड़ी है। अक्षय ऊर्जा की दिशा में क्रमिक बदलाव एनटीपीसी की स्थायी बिजली उत्पादन और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्धता का एक हिस्सा है। इसी समय, एनटीपीसी वर्तमान में एफजीडी उपकरणों की तैनाती के लिए भारी निवेश कर रहा है, जिससे हानिकारक उत्सर्जन में कटौती करने के लिए, अपने विभिन्न कोयला आधारित बिजली संयंत्रों के लिए एफजीडी के लिए 60 गीगावाट से अधिक क्षमता की योजना तैयार की गई है।
पर्यावरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के हिस्से के रूप में, एनटीपीसी ने इस क्षेत्र के लिए पहली बार कई कार्य किए हैं। एनटीपीसी इन-फील्ड फसल अवशेषों को जलाकर बिजली उत्पादन के लिए कृषि अवशेषों के उपयोग की दिशा में काम कर रहा है। एनटीपीसी ने बायलर में कोयले के साथ-साथ बायोमास टुकड़ों को जलाने की जिम्मेदारी स्वीकार की है।
एनटीपीसी पावर प्लांट ने जीरो लिक्विड डिस्चार्ज सिस्टम और रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को लागू करके, अनुपालन नियमों से परे जाकर, पानी की खपत के संदर्भ में नए मानदंड स्थापित किए हैं। फ्लाई ऐश का शत-प्रतिशत इस्तेमाल करना एनटीपीसी का एक अन्य महत्वपूर्ण प्रयास है।
कोविड-19 महामारी के दौरान एनटीपीसी अपने कर्मचारियों के लिए विभिन्न लर्निंग एंड डेवलपमेंट (एलएंडडी) पहलों को लागू करके उनकी बेहतरी के लिए प्रतिबद्ध है। भारत के सबसे बड़े बिजली उत्पादक ने डिजिटल वेबिनार को अपनाया है और नए पाठ्यक्रमों को कर्मचारियों सहित उनके परिवारों तक पहुंचाने के लिए ऑनलाइन पाठ्यक्रम तैयार किए गए हैं। एनटीपीसी ने कर्मचारी कल्याण के लिए आर्ट ऑफ लिविंग, ईशा फाउंडेशन और अन्य जैसे कई संगठनों को भी जोड़ा है।
एनटीपीसी ने कोयला, गैस, पनबिजली, सौर और पवन ऊर्जा के क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज करने के साथ-साथ बायोमास, अपशिष्ट से ऊर्जा, गतिशीलता के क्षेत्र में भी प्रवेश किया है तथा अब इसने कैप्टिव उद्योग से लाभ प्राप्त करना भी शुरू कर दिया है। एनटीपीसी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं और वैश्विक परिवर्तनों के साथ अपने विकास को जोड़कर निरंतर आगे बढ़ता रहेगा।