कोरोना वैक्सीन के दो डोज बेहतर रिस्पांस दे रहे हैं.
कोरोना वैक्सीन के दो डोज बेहतर रिस्पांस दे रहे हैं. इम्यून सिस्टम में इस डोज के बाद सुधार देखा जा रहा है. आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने बताया है कि उसकी वैक्सीन एक डोज के मुकाबले दो पूरी डोज में बेहतर रिस्पांस दे रही है. (Covid-19 vaccine has better immune response with two full-dose regime, claims Oxford)
इसके बाद बेहतर इम्यून सुधार देखा जा रहा है. कंपनी ने यह दावा वैक्सीन के अंतरिम ट्रायल के बाद किया है. इस वैक्सीन का निर्माण भारत में ही हो रहा है पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में इस पर काम चल रहा है. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका कंपनी की वैक्सीन पर काम चल रहा है.
इस संबंध में गुरुवार को जारी एक बयान में कहा गया कि हमने पहले एक फुल डोज फिर एक हॉफ डोज देकर ट्रायल किया. एक कैंडिडेट को डेढ़ डोज दिया गया. उसके मुकाबले दो फुल डोज के परिणाम बेहतर आये. एक महीने पहले एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड ने वैक्सीन बनाने में हुई गलती मानी थी.
उस वक्त वैक्सीन के तीसरे फेज में अलग- अलग नतीजे आये थे. वैक्सीन की बूस्टर डोज सिंगल डोज के मुकाबले मजबूत ऐंटीबॉडी रेस्पांस पैदा करती हैं. उस वक्त इसे 90 या 62 फीसद असरदार बताया गया था. इसके डाटा पर सवाल उठने लगे जिस डोज पैटर्न से 90% तक वैक्सीन असरदार साबित हो रही थी उसमें पार्टिसिपेंट्स को पहले आधी डोज दी गई, फिर महीने भर बाद पूरी. पता चला कि कंपनी ने किसी पार्टिसिपेंट को आधी डोज देने की नहीं सोची थी.
वैक्सीन ट्रायल के वक्त ब्रिटिश रिसर्चर्स फुल डोज देने वाले थे. एक गलत आंकलन की वजह से आधी डोज दे दी गयी. इसी के चलते रिसर्चर्स एक अलग डोज पैटर्न तक पहुंच पाए. अब इस गलती को रिसर्चर्स उपयोगी गलती बता रहे हैं. कंपनी ने इसकी जानकारी पहले नहीं दी थी जिस की वजह से इसकी मंशा संदेह के घेरे में चली गयी.
इस संबंध में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोरोना वैक्सीन केलिए 50 फीसद एफेकसी का आंकड़ा रखा है. इस आंकड़े पर तो आक्सफोर्ड की वैक्सीन खरा उतरती है. सेफ्टी ट्रायल में यह सफल रही है.इमर्जेंसी अप्रूवल के लिए सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने अप्लाई कर रखा है.