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अमेरिका-भारत की साझेदारी महत्वपूर्ण क्षेत्रों में AI पर फोकस करके मजबूत की जा सकती है

विशेषज्ञों ने दोनों देशों की समस्याओं के समाधान के लिए भारत व अमेरिका के बीच विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संबंधों को बढ़ाने की आवश्यकता को रेखांकित किया

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने भारतीय-अमेरिकी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी फोरम के अमेरिकी भारतीय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (यूएसआईएआई) पहल के लॉन्च के दौरान दोनों देशों की समस्याओं के समाधान और प्रगति में बाधाओं को दूर करने के लिए भारत व अमेरिका के बीच विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के संबंधों को बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

17 मार्च 2021 को भारतीय-अमेरिकी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी फोरम (आईयूएसएसटीएफ) द्वारा आयोजित लॉन्च कार्यक्रम के लोकार्पण में प्रोफेसर शर्मा ने कहा, “विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत-अमेरिका के संबंध काफी पुराने हैं जिसके परिणामस्वरूप दोनों देशों को बहुत लाभ हुआ है। हमें इन संबंधों को विभिन्न क्षेत्रों में आगे बढ़ाने की आवश्यकता है और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) भविष्य में प्रमुख भूमिका निभा सकती है। हमने भारत में विकास की बाधाओं को पहचान लिया है जो अमेरिका के लिए भी उपयोगी हो सकती है।”

आईयूएसएसटीएफ एक द्विदेशीय संगठन है जिसका वित्त पोषण भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) और अमेरिकी राज्य विभाग द्वारा किया जाता है। इस पहल के लॉन्च के मौके पर ऑनलाइन मौजूद प्रोफेसर शर्मा ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में अनुसंधान और तकनीक को बहुविषयक साइबर-फिज़िकल प्रणालियों के राष्ट्रीय मिशन के तहत स्थापित 25 तकनीकी हबों, जो ट्रिपल हेलिक्स के रूप में काम कर रहे हैं, के जरिए देश में प्रोत्साहित और लागू किया जा रहा है। साथ ही उन्होंने भारत की भूस्थानिक नीतियों को उदार बनाने के लिए हाल की नीतियों पर भी बात की।

आईयूएसएसटीएफ की यूएसआईएआई पहल उन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सहयोग पर केंद्रित है जो दोनों देशों की प्राथमिकताओं में शामिल हैं। यूएसआईएआई अवसरों, चुनौतियों और द्विपक्षीय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के अनुसंधान एंव विकास के लिए बाधा पर विचार विमर्श करने, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस नवाचार को सक्षम करने, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कार्यबल विकसित करने के लिए विचारों को साझा करने में मदद करने और साझेदारी को बेहतर बनाने के लिए प्रक्रिया और प्रणाली की सिफारिश के लिए, एक मंच के रूप में काम करेगा।

महासागर एवं अन्तर्राष्ट्रीय पर्यावरण और वैज्ञानिक मामलों के अमेरिकी ब्यूरो, अमेरिकी राज्य विभाग के कार्यवाहक उप सहायक सचिव जोनाथन मार्गोलिस ने इस अवसर पर कहा कि भारत और अमेरिका के बीच सहयोग खुलेपन, पारदर्शिता और पारस्परिकता के साझा मूल्यों पर आधारित है और नवाचार को बढ़ावा देता है जो दोनों देशों को लाभ पहुंचाएगा।

उन्होंने कहा, “अमेरिका-भारत की रणनीतिक साझेदारी उन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर फोकस करके मजबूत की जा सकती है जो दोनों देशों की प्राथमिकता में शामिल हैं।”

राष्ट्रीय विज्ञान फाउंडेशन (एनएसएफ) के निदेशक डॉ. सेतुरमण “पंच” पंचनाथन ने कहा, “विश्व के दो बड़े लोकतंत्र आपसी तालमेल और सहयोग द्वारा अद्भुत चीजें कर सकते हैं और इस तरह की पहल को शुरू करने के लिए यह सही समय है। हम दोनों अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ावा देने, रोजगार पैदा करने और समृद्धि लाने के लिए उच्च प्रभाव वाले सहयोग और अनुसंधान की उम्मीद कर रहे हैं।”

एग्जिलर वेंचर्स के चेयरमैन क्रिस गोपालकृष्णन ने कहा कि दुनिया की 20 प्रतिशत आबादी, जो कि भारत में है, अगर अनुसंधान का हिस्सा नहीं है तो यह अनुसंधान अधूरा है। भारत में विविधता है और अनुसंधान के लिए विविधता बहुत महत्वपूर्ण है। भारत दोनों देशों के आधार पर डेटा और बैंकिंग में मजबूत है, यह वैश्विक सहयोग दोनों की सहायता करता है।

आईयूएसएसटीएफ की कार्यकारी निदेशक डॉ. नंदिनी कनन ने कहा, “आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पहल भारत और अमेरिका के बीच विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने में आईयूएसएसटीएफ की महत्वपूर्ण भूमिका का एक और उदाहरण है।”

यह अमेरिकी-भारतीय पहल सभी महत्वपूर्ण हितधारक समूहों को अपने अनुभव साझा करने, पारस्परिक गतिविधियों से लाभ प्राप्त करने वाले नए अनुसंधान और विकास क्षेत्रों तथा अवसरों को पहचानने, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उभरते परिदृश्य पर चर्चा करने और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कार्यबल के विकास में चुनौतियों को संबोधित करने के अवसर प्रदान करेगी।

महत्वाकांक्षी फ्लैगशिप पहल यूएसआईएआई, भारत और अमेरिका के प्रमुख हितधारकों को साथ लाने के लिए आईयूएसएसटीएफ की अद्वितीय क्षमता का लाभ उठाता है ताकि विज्ञान, प्रौद्योगिकी और समाज के इंटरफेस पर चुनौतियों और अवसरों को संबोधित करने वाला तालमेल बनाया जा सके।

अगले साल, आईयूएसएसटीएफ विभिन्न हितधारक समुदायों से इनपुट इकट्ठा करने के लिए गोलमेज बैठकों की एक श्रंखला और वर्कशॉप का आयोजन करेगा और वाइट पेपर्स तैयार करेगा जो तकनीक, अनुसंधान, बुनियादी ढांचे और कार्यबल अवसरों व चुनौतियों और स्वास्थ्य क्षेत्र में अनुसंधान और विकास के लिए डोमेन-स्पेसेफिक अवसरों, स्मार्ट शहरों, मैटेरियल, कृषि, ऊर्जा और विनिर्माण की पहचान करेंगे।


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