Western Times News

Gujarati News

महाकाल मंदिर में फुलझड़ी जलाकर हुई दीपावली पर्व की शुरुआत

उज्जैन : दीपों के पर्व दीपावली (Deepawali) पर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर (Mahakal Temple) का आंगन भी सज गया है. यहां दीपावली पर्व की शुरुआत हो गयी है. मान्यता अनुसार विश्व भर में हर हिंदू त्योहार की शुरुआत सबसे पहले बाबा महाकाल के प्रांगण से ही होती है.

इस बार धनतेरस को लेकर देश भर में असमंजस की स्थिति बनी हुई थी. लेकिन महाकाल मंदिर में कल रात 9:30 पर त्रयोदशी पर्व लगते ही शयन आरती में बाबा के सामने फुलझड़ी जला कर दीपवाली पर्व की शुरुआत की गई. उसके बाद आज सुबह होते ही भस्म आरती के बाद पुरोहितों ने महाकाल, गणेश, पार्वती की पूजा की. नंदी हॉल में पुजारी, पुरोहितों ने मंत्रोच्चार के साथ राजाधिराज महाकाल, गणेश, कुबेर, लक्ष्मी/पार्वती का पूजन किया.

इस साल केवल 21 पुरोहितों ने ही मिलकर पूजन अभिषेक किया. हर वर्ष इस अवसर पर कलेक्टर, प्रशासक, सहायक प्रशासनिक अधिकारी और आम लोगों की मौजूदगी में पूजा की जाती थी. लेकिन कोरोना की गाइड लाइन का पालन करते हुए पूजन के समय इस वर्ष आम जनों के दर्शन पर प्रतिबंध था. सरकारी अधिकारियों को भी निमंत्रण नहीं दिया गया था.

रूप चतुर्दशी या नरक चौदस पर महाकाल का स्वरूप निखारा जाता है. इसी दिन से गर्म जल से स्नान शुरू कराया जाता है. सुबह 6 बजे राजा को शहद, घी, दूध, दही, उबटन, हल्दी, चंदन, केसर, विभिन्न प्रकार के फूलों और फलों के रसों के साथ इत्र आदि सुगंधित द्रव्य पदार्थों से अभ्यंग स्नान होगा।.हजारों श्रद्धालु इस स्वरूप के दर्शन करने मंदिर पहुंचते हैं लेकिन इस साल कोरोना संकट के कारण भस्म आरती में आम जनता का प्रवेश नहीं होगा.

14 नवंबर को महाकाल राजा के दरबार में अन्नकूट महोत्सव मनाया जाएगा.सुबह 4 बजे होने वाली भस्म आरती के दौरान बाबा महाकाल को 56 पकवानों का महाभोग लगाया जाएगा. साथ ही यहां परंपरानुसार हर त्योहार की शुरुआत सबसे पहले होती है, इसी कड़ी में दीपोत्सव की शुरुआत की जाएगी.

कार्तिक-अगहन मास में भगवान महाकालेश्वर प्रजा को छह बार दर्शन देने नगर भ्रमण पर निकलेंगे. पहली सवारी दिवाली के दूसरे दिन 15 नवंबर को निकलेगी. श्रावण-भादौ मास की तर्ज पर हर सवारी शाम 4 बजे निकलना शुरू होगी. एक सवारी आज बैकुंठ चौदस पर रात 11 बजे निकलेगी, जिसे हरि-हर मिलन कहा जाता है.मान्यता है कि इस दिन शिव पृथ्वी का भार गोपालजी को सौंपते हैं.

 


Read News In Hindi

Read News in English

Copyright © All rights reserved. | Developed by Aneri Developers.