स्वर्गीय प्रधानमंत्री आई. के. गुजराल के सम्मान के तौर पर स्मारिका डाक टिकट जारी
उपराष्ट्रपति ने पूर्व प्रधानमंत्री को ‘सज्जन राजनेता’ के रूप में स्मरण करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी-उपराष्ट्रपति ने युवा पीढ़ी से श्री आई. के. गुजराल के जीवन से प्रेरणा लेने का आह्वान किया
जब तक आतंकवाद को समाप्त नहीं किया जाता, तब तक यह संकट लोगों के समृद्ध जीवन के लिए किए जाने वाले सभी प्रयासों को निष्फल करता रहेगा : उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज स्वर्गीय प्रधानमंत्री श्री आई. के. गुजराल को श्रद्धांजलि देते हुए उनके सम्मान में एक स्मारिका डाक टिकट जारी किया।
श्री नायडू ने एक वर्चुअल कार्यक्रम में कहाकि श्री गुजराल एक विद्वान व्यक्ति, मधुर भाषीऔर सज्जन राजनेता थे, जिन्होंने अपने सक्षम आने वाली चुनौतियों और बाधाओं के बावजूद कभी भी अपने मूल्यों के साथ समझौता नहीं किया।उन्होंने कहा,‘वहएक सर्वप्रिय व्यवहार के स्वामी थे जो अपनी कमी को बताने वाले के प्रति विनम्र रहते थे और उन्होंने राजनैतिक क्षेत्र में अनेक मित्र बनाए।’
उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री को एक बहुआयामी व्यक्तित्व के रूप में स्मरण करते हुए कहा कि उन्होंने कई पुस्तकें लिखी थीं वह अध्ययन और कविता पढ़ने का काफी आनंद लेते थे। उन्होंने कहा कि भारत के विदेश मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान ‘गुजराल सिद्धांत’ के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा।
उपराष्ट्रपति ने सभी राजनेताओं से अपने विरोधियों को प्रतिस्पर्धी और शत्रु नहीं मानने की अपील करते हुए कहाकि उन्हें आपस में अच्छे संबंध बनाने चाहिए। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से,‘राष्ट्र प्रथम’ की नीति का पालन करते हुए कहा कि वे अपने मतभेदों को एक तरफ रखकर राष्ट्रीय हित में विदेश नीति का समर्थन करें।
श्री नायडू ने कहा कि विश्व की आबादी में दक्षिण एशियाई क्षेत्र का योगदान एक चौथाई है। श्री नायडू ने जोर देकर कहा कि दक्षिणएशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (दक्षेस)क्षेत्रीय समूह इस क्षेत्र में समृद्धि और यहां के लोगों के बेहतर जीवन को बढ़ावा देने के लिए एक प्रभावी और जीवंत संगठनबन सकता है,लेकिन इसके लिए सभी देशों को आतंकवाद के समाप्त करने की दिशा में एक साथ मिलकर ईमानदारी से प्रयास करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि जब तक आतंकवाद को समाप्त नहीं किया जाता, तब तक यह संकट लोगों के समृद्ध जीवन के लिए किए जाने वाले सभी प्रयासों को निष्फल करता रहेगा।
उपराष्ट्रपति ने दोहराया कि भारत हमेशा अपने सभी पड़ोसियों के साथ शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व बनाए रखने में विश्वास करता है,लेकिन “दुर्भाग्य से, हम पिछले कई वर्षों से सरकार प्रायोजितऔरसीमा पार आतंकवाद का सामना कर रहे हैं।”
उपराष्ट्रपति ने कहा कि वह इस बात के पक्ष में है कि संयुक्त राष्ट्र एक और अधिक सक्रिय भूमिका निभाए और आतंकवादी गतिविधियों को प्रायोजित करने वाले राष्ट्रों को अलग करने और उनके खिलाफ प्रतिबंध लगाने में अपने प्रयासों को आगे बढ़ाए। उन्होंने कहा, “संयुक्त राष्ट्र में विचार-विमर्श पर जो निष्कर्ष निकला है और अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन’’के तत्वों को स्वीकार करने में अब और देरी नहीं की जा सकती है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि दक्षिण एशियाई क्षेत्र के विकास और सहयोग के लिए काफी क्षमता और संभावनाएं है तथा सभी देशों को गरीबी, अशिक्षा, भ्रष्टाचार जैसी बाधाओं को दूर करने, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने; लैंगिक भेदभाव को समाप्त करने और जीवन की समग्र गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए प्राथमिकता के अनुसार इस अवसर का लाभ लेना चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने शांति और विकास को अन्य सभी चीजों के मुकाबले प्राथमिकता दिए जाने पर जोर देते हुए कहा कि “प्रगति के लिए शान्ति पहली आवश्यकता है और शांति के बिना कोई विकास नहीं हो सकता है।”
इस अवसर परउपराष्ट्रपति ने नेतृत्व की भूमिकाओं में महिलाओं की अधिक से अधिक भागीदारी की आवश्यकता पर बल दिया और इस बात पर भी प्रसन्नता व्यक्त की कि मद्रास उच्च न्यायालय में महिला न्यायाधीशों की संख्या 13 तक पहुंच गई है, जो देश के किसी भी उच्च न्यायालय में कल तक सर्वाधिक थी।
उपराष्ट्रपति ने मद्रास उच्च न्यायालय, उच्चतम न्यायालय और तमिलनाडु तथा भारत सरकारकी इस प्रयास के लिए सराहना करते हुए कहा कि अन्य राज्य सरकारों को भी इसका अनुकरण करना चाहिए। देश के उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालयों में महिला न्यायाधीशों की कम संख्या की ओर ध्यान आकर्षित करते हुएउपराष्ट्रपति ने उच्चतमन्यायालय में महिलाओं के कम प्रतिनिधित्व पर चिंता व्यक्त की।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में भारत और विश्व में राजनीति के क्षेत्र में राजनैतिक नेतृत्व, लोक प्रशासनऔर कॉरपोरेट गवर्नेंस और नागरिक समाज संगठनों में महिलाओं की भूमिका में धीरे-धीरे इजाफा हो रहा है और इस प्रतिनिधितत्व को और बढ़ाया जाने की आवश्यकता है। राज्यों की विधानसभाओं और संसद में महिलाओं के कम प्रतिनिधित्व पर चिंता व्यक्त करते हुए श्री नायडू ने आवश्यक राजनीतिक और विधायी प्रयासों द्वारा इसे बढ़ाए जाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि 17वीं लोकसभा में महिला प्रतिनिधियों की संख्या सर्वाधिक 78 है जो महिलाओं की कुल संख्या का केवल 14 प्रतिशत है।
श्री नायडू ने कहा कि देश में स्थानीय निकायों में आरक्षण के कारण लाखों महिलाओं को नेतृत्व की भूमिका मिली है। श्री नायडू ने उनके खिलाफ पूर्वाग्रह को समाप्त करते हुए कहा,”अब यह और अधिक समय तक पुरुषों की दुनिया नहीं रह सकती है और महिलाएं अपने हिस्से के अवसरों की हकदार हैं और वे उभरते ज्ञान आधारित समाज में अपने आपको व्यक्त कर सकती हैं।’’
श्री नायडू ने जोर देते हुए कहा कि लिंग आधारित भेदभाव का कोई औचित्य नहीं हैऔरमहिलाओं को उनका हक प्रदान किए जाने से हमारे घर और विश्व रहने के बेहतर स्थान बन सकेंगे। उन्होंने प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं को प्रवेश किए जाने संबंधी बाधाओं को दूर करने के लिए ध्यान केन्द्रित करने की आवश्यकता पर बल दिया और यह भी कहा कि महिलाएं न्यायपालिका, विधानसभाओं, विधायिका और सुशासन के क्षेत्र में निर्णय लेने कीभूमिकाओं की हकदार हैं।
श्री नायडू ने लोगों को कोविड-19 महामारी के प्रति सावधानी बरतने, सभी एहतियाती उपायों को जारी रखनें जैसे –मास्क पहनना, नियमित रूप से हाथ धोना और सुरक्षित दूरी बनाए रखने की अपील की।
उन्होंने इस बात का समर्थन किया कि मौजूदा पीढ़ियों को श्री इंद्र कुमार गुजराल जैसे महान नेताओं के जीवन और उनके योगदान से अवगत कराया जाना है। इस मौके पर श्री नरेशगुजराल, संसद सदस्य, श्री तरलोचन सिंह, पूर्व सांसद, श्री बी.सेल्वाकुमार, मुख्य पोस्ट मास्टर जनरल-तमिलनाडु सर्कलऔर श्रीमती सुमति रविचंद्रन, पोस्ट मास्टर जनरल, चेन्नई शहर क्षेत्र ने भी इस वर्चुअल कार्यक्रम में हिस्सा लिया।