एक्सिस म्युचुअल फंड ने ‘एक्सिस ग्लोबल इक्विटी अल्फा फंड ऑफ फंड’ लॉन्च किया
अवसर और विविधीकरण के तर्क के मुताबिक, यदि हमें सर्वोत्तम दीर्घकालिक पोर्टफोलियो परिणाम पाना है, तो हमें किसी भी सार्थक, दीर्घकालिक निवेश विचार की अनदेखी नहीं करनी चाहिए। और अब तक, भारतीय निवेशकों ने 97 प्रतिशत वैश्विक इक्विटी अवसरों को हाथ से जाने दिया है, क्योंकि उनके पोर्टफोलियो को बड़े पैमाने पर भारतीय इक्विटी बाजारों (जो कि वैश्विक इक्विटी बाजारों का मात्र लगभग 3% है*)में आवंटित कर दिया गया है।
निवेश की बात आने पर, हर जगह के निवेशकों में ‘होम बायस‘ दिखता है। इस शब्दावली का अर्थ है कि निवेशकों के रूप में हम अपने स्वयं के देश के बाजारों में अधिक आवंटन करते हैं। हालांकि, होम बायस मात्रात्मक रूप में अलग-अलग बाजारों में अलग-अलग है और एक समय के बाद निवेशकों व बाजारों की परिपक्वता के साथ यह नीचे आ जाता है। हमारा मानना है कि भारतीय निवेशकों के लिए यह सही समय है ताकि वो वैश्विक आवंटन के बारे में सोचना शुरू कर दें और अपने पोर्टफोलियोज पर होम बायस के प्रभाव को कम करें।
भारत उच्च इक्विटी वृद्धि वाला बाजार रहा है और बना रहेगाजिसने दीर्घकालिक निवेशकों को फायदा पहुंचाया है। हालांकि, अभी भी भारत वैश्विक इक्विटी बाजार का एक छोटा-सा हिस्सा है। तद्नुसार, यहां अनेक बड़े वैश्विक सेक्टर्स और थीम्स नहीं है जो या तो मौजूद नहीं हैं या मौजूद भी है तो भारतीय सूचीबद्ध यूनिवर्स में महत्वपूर्ण नहीं हैं (जैसे कंज्यूमर टेक्नोलॉजी, इंटरनेट और ई–कॉमर्स)।
इसलिए, वैश्विक उत्पादों में आवंटन का भारतीय निवेशकों के लिए दो प्रमुख लाभ है। पहला, वो भारतीय बाजारों के बाहर उपलब्ध व्यापक अवसर का लाभ उठा सकते हैं। दूसरा, वो अपने इक्विटी आवंटनों के रिस्क-रिटर्न प्रोफाइल को विविधीकृत करके बेहतर बना सकते हैं। वैश्विक आवंटन का सर्वोत्तम लाभ पाने के लिए,निवेशकों को चाहिए कि वो दीर्घकालिक परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए ऐसी नीतियों में निवेश करें जो दुनिया के सर्वश्रेष्ठ आइडियाज में निवेकी बात कहे।