गौशालाओं एवं दुग्ध सहकारी समितियों को बड़ी समुदाय-आधारित बायोगैस इकाइयों से जोड़ा जा रहा है।
केंद्रीय मंत्रियों ने संयुक्त रूप से गोबरधन योजना को बढ़ावा देने और वास्तविक समय की प्रगति पर नजर रखने के लिए गोबरधन का एकीकृत पोर्टल शुरू किया
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस एवं इस्पात मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान, केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री श्री गिरीराज सिंह, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत और केंद्रीय जल शक्ति राज्य मंत्री श्री रत्तन लाल कटारिया ने आज संयुक्त रूप से गोबरधन के एकीकृत पोर्टल को शुरू किया। इस अवसर पर जल शक्ति मंत्रालय के सचिव और पशुपालन एवं डेयरी विभाग के सचिव सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
एकीकृत दृष्टिकोण के तहत नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई), पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय (एमओपीएनजी), पशुपालन और डेयरी विभाग, कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण विभाग, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (डीएआरई) और ग्रामीण विकास विभाग के पास विभिन्न बायोगैस कार्यक्रम/नीतियां/योजनाएं जैसे; एमएनआरई का नया राष्ट्रीय बायोगैस एवं खाद प्रबंधन कार्यक्रम (एनएनबीओएमपी),
एमओपीएनजी की जैव ईंधन नीति एवं वहनीय परिवहन के लिए सतत विकल्प (एसएटीएटी) और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) के माध्यम से पशुपालन विभाग की सहकारी योजनाएं और इसी तरह की अन्य योजनाएं प्रमुख हितधारकों में शामिल हैं। नई एकीकृत दृष्टिकोण के तहत इन सभी कार्यक्रमों/योजनाओं को स्वच्छ भारत मिशन- ग्रामीण (एसबीएमजी) के तहत पेय जल और स्वच्छता विभाग द्वारा समन्वित किया जाएगा।
अपने उद्घाटन भाषण में केंद्रीय मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के मार्गनिर्देशन एवं नेतृत्व में एसबीएमजी ने स्वयं को एक जन आंदोलन में परिवर्तित किया है। इसके अलावा मिशन मोड में खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) ग्रामीण भारत की बड़ी उपलब्धि भी प्राप्त की है। एसबीएम(जी) की असाधारण सफलता को आगे बढ़ाते हुए इसके दूसरे चरण की शुरूआत पिछले साल की शुरूआत में की गई थी।
यह गांवों या ओडीएफ प्लस स्थिति में व्यापक स्वच्छता के उद्देश्य को लेकर ओडीएफ स्थिरता और ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन (एसएलडब्ल्यूएम) पर केंद्रित है। उन्होंने आगे कहा कि ओडीएफ प्लस लक्ष्य प्राप्त करने के लिए साल 2018 की शुरूआत में गोबरधन योजना शुरू की गई थी।
इसका उद्देश्य गांवों में गोबर सहित जैव-अपशिष्ट के मौजूदा मुद्दों का प्रबंधन और इन्हें बायोगैस एवं जैविक खाद में परिवर्तित करना है, जिससे गांव के किसानों एवं परिवारों को आर्थिक और संसाधन लाभ प्रदान करके उनके जीवन को बेहतर बनाया जा सके। उन्होंने नई एकीकृत दृष्टिकोण रणनीति की सराहना की और कहा कि एकीकृत गोबरधन पोर्टल बायोगैस योजनाओं/पहलों के सुचारू क्रियान्वयन और इनके वास्तविक समय पर नजर रखने के लिए हितधारक विभागों/मंत्रालयों के साथ नजदीकी समन्वय सुनिश्चित करेगा।
केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री गिरीराज सिंह ने अपने संबोधन में गोबरधन के ‘अपशिष्ट से धन’ के पहलू के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने आगे टिप्पणी की कि ग्रामीण भारत में भारी मात्रा में जैव-अपशिष्ट पैदा होते हैं, जिनका कुशलता से उपयोग किया जा सकता है। इससे पर्यावरण और जन स्वास्थ्य की स्थिति बेहतर हो सकती है।
यह जैव अपशिष्ट प्रसंस्करण से संबंधित उचित योजनाओं एवं पहलों विशेषकर गोबर को बायोगैस एवं जैविक खाद में बदलकर रोजगार के अवसरों और घरेलू बचतों को पैदा करने के माध्यम से किया जा सकता है।
उन्होंने अपने विभाग द्वारा राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) के माध्यम से किए गए सहकारी योजनाओं के सफल मॉडल का उल्लेख किया, जिनमें गौशालाओं एवं दुग्ध सहकारी समितियों को बड़ी समुदाय-आधारित बायोगैस इकाइयों से जोड़ा जा रहा है।
केंद्रीय पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस और इस्पात मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने अपने संबोधन में उनके मंत्रालय द्वारा किए गए बायोगैस योजनाओं के व्यापक उद्देश्यों और लक्ष्यों को रेखांकित किया। उन्होंने एसएटीएटी के मॉडल को रेखांकित किया, जिसका उद्देश्य संपीड़ित बायो-गैस (सीबीजी) उत्पादन संयंत्रों की स्थापना करना और मोटर वाहन के ईंधन में जैव ईंधन के उपयोग के लिए बाजार के जुड़ाव को सुनिश्चित करना है। केंद्रीय मंत्री ने उल्लेख किया कि पूरे देश में प्रारंभिक परियोजनाओं को स्थापित किया जा रहा है और यह किसानों के आर्थिक लाभ एवं ग्रामीण क्षेत्रों में समग्र स्वच्छता को और आगे बढ़ाएगा।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सभा को संबोधित करते हुए विश्वास व्यक्त किया कि गोबरधन के एकीकृत पोर्टल की शुरूआत विभिन्न बायोगैस परियोजनाओं/मॉडल और पहलों के लिए एक अभिसारी दृष्टिकोण के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को और मजबूत करेगा।
एसबीएमजी के चरण-2 में उल्लिखित ओडीएफ प्लस लक्ष्य काफी सीमा तक गोबरधन योजना के प्रदर्शन पर निर्भर करेगा, क्योंकि यह न केवल ठोस कचरा प्रबंधन की चुनौती का प्रभावी ढंग से समाधान करेगा बल्कि ग्रामीण क्षेत्र में आजीविका के अवसरों और घरेलू आय में भी वृद्धि करेगा।
जल शक्ति मंत्रालय में पेय जल और स्वच्छता विभाग (डीडीडब्ल्यूएस) के सचिव श्री पंकज कुमार ने सभी प्रमुख हितधारक विभागों/मंत्रालयों, केंद्रीय और राज्य की टीमों के प्रयासों की सराहना की, जो गोबरधन के एकीकृत दृष्टिकोण के हिस्से के रूप में स्वच्छ और स्वस्थ गांव के आम उद्देश्य के लिए समय पर लक्ष्यों की उपलब्धियों और बेहतर समन्वय की उम्मीद करते हैं। उन्होंने गोबरधन योजना के महत्वपूर्ण लाभों, उद्देश्यों और मार्गदर्शक सिंद्धांतों को भी सूचीबद्ध किया। एकीकृत पोर्टल का लिंक है- http://sbm।gov।in/gbdw20