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मस्तिष्क में धमनियों के सूजन के मरीजों को सस्ते रेट पर फ्लो डायवर्टर स्टेंट देगी सरकार

भारतीयों को जल्द ही रक्त प्रवाह में बदलाव करके मस्तिष्क में धमनियों के सूजन को सीमित करने वाले पहले स्वदेशी फ्लो डायवर्टर स्टेंट और दिल के छेद के बेहतर इलाज को बढ़ावा देने वाला एक उपकरण सुलभ होंगे।

देश में पैदा होने वाले प्रत्येक 1000 जीवित बच्चों में से 8 बच्चों को प्रभावित करने वाले आट्रीयल सेप्टल दोष (एएसडी) या दिल के छेद को ठीक करने में इस्तेमाल होने वाले नीतिनोल-आधारित अक्लूडर डिवाइस की मांग को पूरा करने के लिए वर्तमान में इसका आयात किया जाता है।

इसके अलावा, भारत फ्लो डायवर्टर स्टेंट का निर्माण नहीं करता है। यह स्टेंट मस्तिष्क में धमनियों के इंट्रकेनीअल एन्यूरिज्म या धमनियों की सूजन को सीमित करने के लिए रक्त प्रवाह को बदलने  में काम आता है और इस सूजन के फटने या इससे जुड़ेआघात की संभावना को कम करने में मदद करता है।

इन चुनौती से निपटने के लिए, भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के स्वायत्त संस्थान श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंसेज एंड प्रौद्योगिकी (एससीटीआईएमएसटी) ने टेक्नीकल रिसर्च सेंटर (टीआरसी) के तहत, दो बायोमेडिकल प्रत्यारोपण उपकरणों- एक आट्रीयल सेप्टल डिफेक्ट अक्लूडर और एक इंट्रकेनीअल फ्लो डायवर्टर स्टेंट- के लिए पुणे स्थित बायोरेड मेडिसिस के साथ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौतों पर हस्ताक्षर किए। इस संस्थान ने नेशनल एयरोस्पेस लेबोट्रीज, बेंगलुरु (सीएसआईआर-एनएएल) के साथ मिलकर सुपरलैस्टिक नीतिनोल मिश्रत धातु का उपयोग करके ये दोनों स्टेंट विकसित किए हैं।

इस सप्ताह के शुरू में एक ऑनलाइन बैठक के माध्यम से सीएसआईआर-एनएएल के निदेशक डॉ. जितेंद्र जे जाधव की उपस्थिति में प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के लिए एससीटीआईएमएसटी के निदेशक डॉ. के जयकुमार और बायोरेड मेडिसिस के प्रबंध निदेशक श्री जितेंद्र हेगड़े ने हस्ताक्षर किए।

एससीटीआईएमएसटी द्वारा विकसित नया एएसडी अक्लूड दिल के छेद के बेहतर इलाज को बढ़ावा देता है और आस-पास के ऊतकों को कम से कम नुकसान पहुंचाता है। यह प्रणाली एक नवीन प्रक्रिया से लैस है जो इलाज के उपकरण के सुगम संचालन को आसान बनाता है। उपकरण को दो भारतीय पेटेंट आवेदनों, एक अंतर्राष्ट्रीय पेटेंट आवेदन और दूसरा डिजाइन पंजीकरण के माध्यम से सुरक्षित किया गया है।


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