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केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना “राष्ट्रीय उन्नत रसायन बैट्री भंडारण कार्यक्रम” को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना “राष्ट्रीय उन्नत रसायन बैट्री भंडारण कार्यक्रम” को मंजूरी दे दी है। भारी उद्योग मंत्रालय ने इस योजना का प्रस्ताव रखा था। इस योजना के तहत पचास (50) गीगावॉट ऑवर्सऔर पांच गीगावॉट ऑवर्स की “उपयुक्त” एसीसीबैट्री की निर्माण क्षमता प्राप्त करने का लक्ष्य है।

इसकी लागत 18,100 करोड़ रुपये है। विदित हो कि गीगावॉट ऑवर्स का अर्थ एक घंटे में एक अरब वॉट ऊर्जा प्रति घंटा निर्माण करना है। Cabinet approves Production Linked Incentive scheme “National Programme on Advanced Chemistry Cell Battery Storage”

एसीसी उन्नत भंडारण प्रौद्योगिकी की नई पीढ़ी है, जिसके तहत बिजली को इलेक्ट्रो-कैमिकल या रासायनिक ऊर्जा के रूप में सुरक्षित किया जा सकता है।

जब जरूरत पड़े, तो इसे फिर से बिजली में बदला जा सकता है। उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक सामान, बिजली से चलने वाले वाहन, उन्नत विद्युत ग्रिड, सौर ऊर्जा आदि में बैट्री की आवश्यकता होती है। आने वाले समय में इस उपभोक्ता सेक्टर में तेजी से बढ़ोतरी होने वाली है। उम्मीद की जाती है किबैट्री प्रौद्योगिकी दुनिया के कुछ सबसे बड़े विकासशील सेक्टर में अपना दबदबा कायम कर लेगी।

कई कंपनियों ने इस क्षेत्र में निवेश करना शुरू कर दिया है, लेकिन वैश्विक अनुपात के सामने उनकी क्षमता बहुत कम है। इसके अलावा एसीसी के मामले में तो भारत में निवेश नगण्य है। एसीसी की मांग भारत में इस समय आयात के जरिये पूरी की जा रही है।राष्ट्रीय उन्नत रासायनिक सेल (एसीसी) बैट्री भंडारण से आयात पर निर्भरता कम होगी।

इससे आत्मनिर्भर भारत को भी मदद मिलेगी। एसीसी बैट्री भंडारण निर्माता का चयन एक पारदर्शी प्रतिस्पर्धात्मक बोली प्रक्रिया के जरिये किया जायेगा। निर्माण इकाई को दो वर्ष के भीतर काम चालू करना होगा। प्रोत्साहन राशि को पांच वर्षों के दौरान दिया जायेगा।

विशिष्ट ऊर्जा सघनता और स्थानीय मूल्य संवर्धन में बढ़ोतरी के साथ प्रोत्साहन राशि को भी बढ़ा दिया जायेगा। एसीसी बैट्री भंडारण निर्माता में से प्रत्येक को यह भरोसा दिलाना होगा कि वह कम से कम पांच गीगावॉट ऑवर्स की निर्माण सुविधा सुनिश्चित करेगा। इसके अलावा उसे यह भी सुनिश्चित करना होगा कि पांच वर्षों के भीतर वह परियोजना स्तर पर मूल्य संवर्धन करेगा।

साथ ही लाभार्थी फर्मों को कम से कम 25 प्रतिशत का घरेलू मूल्य संवर्धन करना होगा और दो वर्षों में 225 करोड़ रुपये/गीगावॉट ऑवर्स का अनिवार्य निवेश करना होगा। बाद में उसे पांच सालों के भीतर 60 प्रतिशत तक घरेलू मूल्य संवर्धन करना होगा। यह सारा काम मूल संयंत्र के स्तर पर या परियोजना स्तर पर किया जाना है, यदि परियोजना स्तर पर बुनियादी तौर पर काम हो रहा हो।

इस योजना से संभावित लाभ और परिणामः

इस कार्यक्रम के तहत भारत में कुल 50 गीगावॉट ऑवर्स की एसीसी निर्माण सुविधा की स्थापना।
एसीसी बैट्री भंडारण निर्माण परियोजनाओं में लगभग 45,000 करोड़ रुपये का सीधा निवेश।
भारत में बैट्री निर्माण की मांग को पूरा करना।
मेक इन इंडिया को बढ़ावाः घरेलू स्तर पर मूल्य संवर्धन पर जोर और आयात पर निर्भरता कम करना।
उम्मीद की जाती है कि योजना के तहत एसीसी बैट्री निर्माण से विद्युत चालित वाहन (ईवी) को प्रोत्साहन मिलेगा और पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता कम होगी, जिसके कारण 2,00,000 करोड़ रुपये से 2,50,000 करोड़ रुपये की बचत होगी।
एसीसी के निर्माण से ईवी की मांग बढ़ेगी, जिनसे कम प्रदूषण होता है। भारत महत्वाकांक्षी नवीकरणीय ऊर्जा एजेंडे पर पूरी ताकत से अमल कर रहा है, इसलिए एसीसी कार्यक्रम से ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में भारत की हिस्सेदारी में कमी आयेगी। भारत इस दिशा में जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का मुकाबला करने के लिये प्रतिबद्ध है।
हर वर्ष लगभग 20,000 करोड़ रुपये का आयात बचेगा।
एसीसी में उच्च विशिष्ट ऊर्जा सघनता को हासिल करने के लिये अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहन।
नई और अनुकूल बैट्री प्रौद्योगिकियों को प्रोत्साहन


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