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डॉ. कलाम एक सच्चे कर्म योगी और हर भारतीय के लिए एक प्रेरणा थे: उपराष्ट्रपति

उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के बारे में लिखी पुस्तक ’40 इयर्स विद अब्दुल कलाम- अनटोल्ड स्टोरीज़’ का विमोचन किया

उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने युवाओं से पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम से प्रेरणा लेने और एक मजबूत, आत्मनिर्भर और समावेशी भारत का निर्माण करने की दिशा में काम करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि डॉ. कलाम की तरह, युवाओं को दायरे से बाहर सोचना चाहिए और भारत की जनसंख्या के बड़े हिस्से को प्रभावित करने वाली विभिन्न आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों का समाधान प्रदान करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करना चाहिए।

डॉ. शिवथानु पिल्लई द्वारा लिखित पुस्तक ’40 इयर्स विद अब्दुल कलाम- अनटोल्ड स्टोरीज़’ का वर्चुअल विमोचन करते हुए श्री नायडू ने प्रसन्नता व्यक्त की कि यह पुस्तक डॉ. कलाम के जीवन का लेखा-जोखा प्रस्तुत करती है। उन्होंने कहा कि “डॉ. कलाम का जीवन एक शक्तिशाली संदेश देता है कि कठिनाइयों और परेशानियों को जब सही भावना में लिया जाता है, तो वे हमारे चरित्र और मानसिकता को मजबूत बनाने में प्रमुख सामग्री के रूप में काम करती हैं।

पूर्व राष्ट्रपति के साथ अपने कुछ व्यक्तिगत अनुभवों को याद करते हुए, श्री नायडू ने कहा कि मुझे डॉ. कलाम के साथ बातचीत करने के कई अवसर प्राप्त हुए थे। जब वह डीआरडीओ में थे और बाद में भारत के राष्ट्रपति बने, मैंने उनसे बातचीत की। हर बार मैं उनके ज्ञान की गहराई और उनकी आम लोगों के जीवन को बदलने की इच्छा शक्ति से बहुत प्रभावित हुआ।

डॉ. कलाम को एक सच्चा कर्म योगी बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि वह प्रत्येक भारतीय के लिए प्रेरणा थे। श्री नायडू ने कहा कि डॉ. कलाम सही मायने में एक ‘जनता के राष्ट्रपति’ थे, जिन्होंने हर भारतीय विशेषकर युवाओं को अपना समर्थन दिया। वे सादगी, ईमानदारी और समझदारी के प्रतीक थे। भारत की रक्षा और अंतरिक्ष क्षमताओं को मजबूत बनाने में उनका योगदान अमूल्य है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि डॉ. कलाम ने पूरे भारत और विदेशों में गरिमा और आशावाद को आदर्श बनाया और उन्हें दोस्ती एवं ज्ञान का एक मजबूत प्रवर्तक माना गया है। श्री नायडू ने स्मरण किया कि पूर्व राष्ट्रपति द्वारा किए गए योगदान को मान्यता देते हुए नासा ने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर एक नए खोजे गए जीव को डॉ. कलाम का नाम दिया है।

भारत के लिए डॉ. कलाम के दृष्टिकोण का उल्लेख करते हुए, श्री नायडू ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति ने हमेशा भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने की आवश्यकता के बारे में बात की है, जो विविध प्राकृतिक संसाधनों और विभिन्न क्षेत्रों में मानव संसाधनों के प्रतिभाशाली पूल को देखते हुए विकसित हुआ। वह आश्वस्त थे कि भारत में निकट भविष्य में एक विकसित राष्ट्र बनने की क्षमता और संभावना है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि डॉ. कलाम का सबसे बड़ा जुनून स्कूल एवं कॉलेज के छात्रों को राष्ट्र निर्माण गतिविधियों के लिए एक जुनून के साथ काम करने के लिए प्रेरित करना था। वह एक कट्टर राष्ट्रवादी, एक प्रेरक वक्ता और एक प्रखर लेखक थे। उन्होंने कहा कि उनके व्यक्तित्व के मानवीय पक्ष ने उन्हें एक प्रेरक और बहुत प्यार करने वाला नेता बनाया जिसके कारण उन्होंने इतने सारे लोगों के दिल को छुआ।

प्रवासी श्रमिकों पर कोविड-19 के प्रभाव का उल्लेख करते हुए, उपराष्ट्रपति ने गांवों और छोटे शहरों में रोजगार और आर्थिक अवसर पैदा करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि हमें विकेंद्रीकृत योजना, स्थानीय निकायों के क्षमता निर्माण और कुटीर उद्योगों का बड़े पैमाने पर प्रचार करने पर ध्यान केंद्रित करना होगा ताकि हमारे गांव और शहर विकास केंद्र के रूप में उभरें। इसके लिए, श्री नायडू चाहते हैं कि स्थानीय निकायों को स्थानीय विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित किया जाए। यह देखते हुए कि डॉ. कलाम ने अपने ‘पुरा’ मॉडल के माध्यम से ग्रामीण और शहरी विभाजन को पाटने की आवश्यकता की वकालत की, उन्होंने कहा कि यह हम सबकी भी प्राथमिकता होनी चाहिए।

यह देखते हुए कि 30 वर्ष से कम की आयु के साथ, भारत दुनिया में सबसे युवा देशों में से एक है, वे इस युवा ऊर्जा को राष्ट्र निर्माण का माध्यम बनाना चाहते हैं। यह सभी नेताओं का एजेंडा होना चाहिए। वह स्वयं भी युवाओं से मिल रहे हैं, उन्हें प्रेरित कर रहे हैं तथा उनके युवा दिमाग में नए विचारों की तलाश कर रहे हैं।

मौजूदा महामारी के दौरान वैज्ञानिक समुदायों द्वारा किए गए अनेक नवाचारों पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि महामारी की शुरुआत में पीपीई के लिए जीरो उत्पादन क्षमता वाला भारत अब दुनिया में पीपीई किट के सबसे बड़े उत्पादक के रूप में उभरा है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि इस सफलता की कहानी को अन्य क्षेत्रों में दोहराने के साथ-साथ सही मायने में ‘आत्मनिर्भर भारत’ बनाने की जरूरत है, जो उन डॉ. कलाम का भी सपना था जिन्होंने अपना पूरा जीवन रक्षा और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए समर्पित कर दिया।

आइए डॉ. कलाम के आईआईएम शिलांग में दिए गए अंतिम भाषण के शब्दों को स्मरण करें, जिसमें उन्होंने पर्यावरण के प्रति अपनी चिंता व्यक्त की थीं। उन्होंने बार-बार यही कहा था कि हमारे सौर मंडल में केवल एक ही रहने योग्य ग्रह है और यह हमारा कर्तव्य है कि हम पृथ्वी की रक्षा करें और अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक रहने योग्य ग्रह छोड़ कर जाएं। उन्होंने विकास की अंधी खोज में प्रकृति को नुकसान पहुंचाने वाली मानवता को आगाह किया।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह समय है कि हम डॉ. कलाम की सलाह का अनुपालन करें और विकास का वह रास्ता अपनाए जो टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल हो। हमारे वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को उन नवीनतम तकनीकी समाधानों के साथ आगे आना चाहिए जो ऊर्जा-कुशल, स्वच्छ और सस्ते हों।

उन्होंने एक व्यापक पुस्तक लिखने के लिए डॉ. पिल्लई की सराहना करते हुए यह आशा व्यक्त की कि कई और लोग ऐसी पुस्तकों के साथ आगे आएंगे और डॉ. कलाम के साथ अपने व्यक्तिगत अनुभवों का वर्णन करके वर्तमान पीढ़ी का मार्गदर्शन करेंगे और उन्हें यह बताएंगे कि डॉ. कलाम हर समय देश के बारे में कैसे सोचा करते थे।

पुस्तक के लेखक, डॉ. ए. शिवथानु पिल्लई, इसरो के प्रोफेसर डॉ. वाई.एस. राजन, पेंटागन प्रेस के एम.डी और सी.ई.ओ. श्री राजन आर्य और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस वर्चुअल कार्यक्रम में शामिल हुए।


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